Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

’’तुम कौन हो”

 

’’तुम कौन हो



                                                 ------ डा० श्रीमती तारा सिंह


जीवन  कली  की  पँखुड़ी  में  बंद

बहु  बाधाओं  को पार कर स्वच्छंद

हृदय आकाश पर  घूमने  वाले

सच-सच बतला,तुम कौन हो अलबेले


क्या  तुम  आदि  प्रेम  का ज्वाल हो, या

किसी वियोगिनी मन की आस का कण हो 

जीवन यात्राकेअंतिम  क्षणों  तक

पलकों  पर  वारिद  का  तप्त  बिंदु  बन

झूलनेवाले  बतलाओ,आखिर तुम कौन हो


क्यों तुम   मेरी  लेखनी  से  कराह

पीड़ाओं  की  भाषा  बन निकल रहे हो

जनहीन , शून्य  मरुदेश  में  विरही के

निष्प्रेम  नयन  से ,चित्कार भर रहे हो 

निकलकर निराकार गृह से,लेकर आकार

मॄत्यु का विमान   बन  रहे  हो


जन-जन की आँखों का जल बन

कंठ-कंठ  को  प्यासा  रखते हो

मानस  के भावों का तूफ़ान बन

उर   बाँध  को तोड़  देते  हो

निराशाबीच  व्यथामय  गान

सुनाने  वाले, बोलो तुम कौन हो



                  ------------- ०   --------------० ---------------०---------------

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ