Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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धन - अभिमानी

 

धन - अभिमानी




दीन – दुखियों के श्रमबल से पोषित

अहंकारी , व्यभिचारी , हठी ,  दर्पी

भव  जीवनकासकल प्रयोजन

बर्बरता के बाहुबल से करता अर्जित


राष्ट्र,  धर्म,  समाज,  युग प्रलयंकर

हृदयहीन,   नग्न आत्मा क्षुधित

अग्निचंड, अंतर्जीवन से  विशृंखलित

दुर्जन,  संपदा,  सुराओं से  संसेवित

नि:संशय रावण का वंशज है संभावित


मानवता  इससे सदा ही रही वाधित

युगविनाशक,   कालपूजक,  अन्यायी

तन  का शिष्ट, सुंदर,कोमल, आकर्षित

निज  जीवन के हित,लाचारों को कर

संगठित,सुबह-शाम को करता निर्मित 


जीने के सारे उपकरणों को कर अधिकृत

वायु काल को करतासंचालित

अजर,  अमर,  मानवता का यह दुश्मन

अमूर्त्त  होकर  भी, भव में रहता मूर्तित



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