आगे आता था इश्के- बेकसी पे रोना
अब उसकी हर बात पे हँसी आती है
आदमी को किस तरह कज़ा1 मालूम हो
वो घूँघट में, गहनों से लदी आती है
बे-एतवार2 नक्श-ओ-निगारे3 जमाना है, फ़िक्र
जान की सुराग में, आसमां से कूदी आती है
सर्द-मेहरी4 से उसके दिल को लगती है चोट
क्या मुहब्बत की आग इस कदर लगाई जाती है
दिल-ओ-जां दोनों जलकर राख हुए, वस्ल5 की
जब भी बात किया, कसम गैर की दी जाती है
1. मौत 2. झूठा 3. दुनिया की सजावट
4. कठोरता 5. मिलन
मैं नहीं, तेरे महफ़िल की आलमे-तस्वीर4जो
रकीब5 करे खिदमत, इतना नहीं जाहिल हूँ मैं
1. दर्शन 2. दुनिया की हवा 3.समुद्र सा गहरा प्यार
4. चित्र की भाँति 5. दुश्मन
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