Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कौन चला रे, यह कौन चला

 

कौन  चला रे, यह कौन चला
जग छोड़कर ,यह कौन चला

किसकी साँस घबड़ाकर दिले –
तुंग को तोड़ा रे,यह कौन चला

ब्राह्मण आओ, ग्यानी आओ
बतलाओ, यह कौन चला

इसे रोको, इसे मनाओ, नींद
से जगाओ,पूछो,यह कौन चला

धू –धू कर मिट रहा तन,माटी
से मिल जा रहा,यह कौन चला


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