Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कहते हैं मेरे दोस्त, मेरा सूरते हाल देखकर

 


कहते      हैं     मेरे     दोस्त,   मेरा    सूरते   हाल    देखकर

कर  ले    ख़ुदा तुझको  याद ,तू  ख़ुदा  को  याद  कर

 

आदमी  खाक  का  ढ़ेर है, वादे-फ़ना1 कुछ भी नहीं

मौत  का  सजदा2 हो, मौत से न कोई फ़रियाद कर

 

तेरी  सूरत  से  जो हो किसी को इंकार, तो रहने दे

खुद  को जर्रा समझकर उसकी राह में ना बर्बाद कर

 

बू-ए-गुल दीवारें–गुलिस्तां को फ़ाँदकर आती है,तकदीर 

के  काज़ी  का  फ़तवा है, किस्मत से न फ़साद कर

 

तू  शाखे-ताक है,  कैदे-मौसम से आजाद अपनी

तबीयत   से,   तू  किसी  वीरां  को  आबाद  कर

 

 

1.मृत्युपरांत  2. स्वागत 3.अंगूर की डाल

4.मौसम का गुलाम

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