Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरे संग बैठा, अपना यार देखा

 

तेरे संग बैठा , अपना यार देखा
देखने की चीज थी ,बार- बार देखा

 

माना कि मैं तेरे काबिल नहीं,फ़िर भी
दिलकशे दिल मेरा, तेरा इंतजार देखा

 

रात महफ़िल में हुस्न बेपरवाह को
परदादारी किये,दिलजलों में शुमार देखा

 

अंदेशा ए-तूफ़ां से काँपता दिल मेरा
चमन में,मौसमें बहार को सोगवार देखा

 

मुँद गईं, खोलते ही खोलते आँखें उसकी
वक्त से पहले चला गया, बीमार देखा

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