Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं तुम्हारी नहीं, अपनी बात करता हूँ

 

मैं तुम्हारी नहीं, अपनी  बात  करता  हूँ

अपनी  बदहाल जिंदगी  की  बात करता हूँ


ले -देके ख़ुदा  अमीरों  का  रहा, गरीबों का

ख़ुदा  कौन, उस  ख़ुदा  की  बात  करता हूँ


होगा  कोई  नसीबा, जिसे  वफ़ा  के  बदले

वफ़ा मिला,मैं अपनी जफ़ा की बात करता हूँ


उसने  कहा  तो  कुछ  नहीं, मगर  निगाहें

यूँ फ़िरा  ले गई कैसे, उसकी  बात करता हूँ


रात-दिन मौत की दुआएँ माँगता हूँ,निभ गई

जिंदगी से दोस्ती कैसे, उसकी बात करता हूँ


याद  तो  क्या, भूला  अभी  तक कुछ नहीं

उस पैमाने  वफ़ा  की  बात  करताहूँ


जिसके लिए मैंने दुनिया छोड़ा,छिन गई मेरी

जिंदगी  से वह  कैसे, उसकी  बात करता हूँ


इश्क दुनिया, अब तो दुनिया नहीं रही

रंगे खुशबू, गुलाब कहाँ, उसकी बात करता हूँ

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