Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क्या- क्या याद करें हम, उस बे-हयाई की

 

क्या- क्या याद करें हम, उस बे-हयाई की
जिसकी चर्चा है सारे जहाँ में बेवफ़ाई की

 

पहले उसने दिल लूटा, फ़िर होश छीना अपने
रहनुमा का,अब बात करती, हमारी रिहाई की

 

कहती, सुलह में वो मज़ा नहीं रहा, क्यों न
बात करें हम, फ़िर से उसी लड़ाई की

 

दिल हमारा आईना है, जो तुम चाहो तो देख
सकती हो तमाशा अपनी खुदनुमाई1 की

 

पता कहाँ था, रिश्ते बुलबुले की तरह टूटते हैं
जमाने में चलन है चार दिन की आशनाई2की

 




1. घमंड 2. मित्रता

 

 

डा० श्रीमती तारा सिंह

 

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