Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

किसने मेरे दिल के बुझे दीये को जला दिया

 

किसने  मेरे  दिल के बुझे दीये को जला दिया

जब्ते-मुहब्बत1 से, तमन्ना का परदा हटा दिया


तन्हा दिल मेरा कातिल नहीं था,रहनुमा2 किसी 

के बहकावे में आकर मुझको कातिल बता दिया


या खुदा ! हद चाहिये सजा में उकूवत3के वास्ते

तूने  सीने में जलजले को भरके यह क्या किया


फ़जा भी बेकरार रहती है,जीस्त4की कराह से,तूने 

काफ़िला-ए-अश्कको  सदा6 न देकर बुरा किया


जिक्रे-जफ़ा उससे करे, जो  वाकिफ़ नहीं है,उसने

तो  मेरे  कत्ल  के  बाद  ज़फ़ा से तोबा किया



1. द्बी हुई मुहब्बत 2. आवाज 3. दुख 

4.जिंदगी  5. बह रहे आँसू  6. आवाज      



Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ