Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कर बहाने कभी तो आया करो

 

कर   बहाने  कभी   तो  आया  करो          

रहकर  दूर,  न   यूँ   तरसाया  करो


हम  भी  हैं  तुम्हारे  चाहने  वालों में

कर  यकीं, वक्त  को  न  जाया  करो


कल  का  किसे  पता ,कल रहें न रहें

बेवक्त, बात  में  न   उलझाया   करो


आये  हो  तो  दिल  में  ठहर  जाओ

बनकर  मेहमान  न आया- जाया करो


ये उचटती  मुलाकात  कब  तक होगी

कभी तो दिल को दिल से लगाया करो


मेरी तरह क्या तुम भी रहती हो अपने 

दिल से परेशां , कर इशारा बताया करो


कभी प्यार, कभी तकरार , जैसे भी हो

दिल  से  दिल   को  टकराया   करो

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