Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ज्योतिषी

 

ज्योतिषी



ज्योतिषीअपने नयन के तीक्ष्ण यंत्र से

अम्बरके  नक्षत्र पुंज को भेदना छोड़ो

तारोंमें  है संकेत चाँदनीमें छाया

यह कहावतहै  बड़ी  पुरानी ,  इसे

अपने कोमल शब्दों की पोशाक पहनाकर

बार – बार  दुनियाको  सुनाना  छोड़ो


तुम्हारा तो दावा हैतुम त्रिलोक विजयी हो

मृत्ति  और  आकाशतुम्हारी  मुट्ठी में है

तत्वों के अस्तित्व अनास्तित्व  में 

कहाँ  छिपा  हैस्वप्न देह धरकर विचरती

कहाँ ,   तुम्हारे  जेब  मेंवह  मिट्टी  है


तोबतलाओ  , डालीकेगुंठनमें

आज छिपीहुईहैजो कलियाँ

उनके प्रणय ज्वलितउरमें

कितनी बार उठेंगीझंकृतियाँ

तब जाकरवे  फ़ूलबनकर  खिलेंगी

यह भविष्य वाणी तुम्हारे लिये तो सस्ती है







व्योममें  बह रहे , रसों के ताल को छोड़कर

धरापर बूँद – बूँदको तरसनेवाले

पल दिवस  , निमिष जबसबतुम्हारे

वशमेंहै,  तुमदूसरोंकीमुसीबत

सेबिंधी  जिंदगी  कोरोशनी  दे  सकते हो

तब तुम्हारा खुद का जीवन अंधकारमय क्यों है

क्यों खुशी की कोई किरण नहीं ,बता सकते हो

जबकि  तुम्हारे  लिएअम्बर  में  उड़ रही

आनंद शिखाको पकड़ना कुछनहीं 

तुम्हारे पास , स्वर्गकी कुंजी है

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ