Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आँखों से यूँ न, बरसात करें

 

 

आँखों  से यूँ न, बरसात  करें
चलो  चलकर कुछ  बात करें
 
जीवन की हरियली बनी रहे
इसके लिए  कुछ शुरूआत करें
 
अमरैया  में  झूले  पड़  गये
हम  भी खुशियाँ  गात करें
 
मिलकर  एक  दूजे  के गले
मधुर  प्यार  का  संजात करें
 
एक   दूजे    में   खो जायें
रातों  को    मदमात   करें

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ