Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

जय हिन्द सिंदूर

 

कल तक बैठे कोस रहे थे, जो राफेल की ताक़त को,
बिल के अन्दर छिपे देख, राफेल से आयी आफ़त को।
दिखा रहे थे नींबू मिर्ची, जो राफेल पर बाँध बाँध कर,
गंजे टकले चमचे गमछे, जाने ना भारत की ताक़त को।
दही जम गया मुँह के अन्दर, कांग्रेस के चमचों की,
समझ सके ना ऐन्डू पैन्डू, सेना की ऐसी चाहत को।
घर में घुसकर मारेंगे, हमने पहले ही ऐलान किया था,
याद करेंगे पाकी दुश्मन, भारत से मिली अदावत को।
पहले पानी रोका था, अब उसकी साँसें भी रोकेंगे,
परमाणु की धमकी देता था, बचे रहेंगे सजावट को।
है अपना संकल्प समझ लो, टुकड़ों टुकड़ों में तोड़ेंगे,
अभी तो बस शुरुआत करी, तैयार रहो बगावत को।

डॉ अ कीर्तिवर्द्धन

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ