सच कहा बिलावल तुमने, पाकिस्तान के अन्दर लड़ोगे,
सीमा पर तो भारतीय फौज, क्या खाकर उनसे लड़ोगे?
सिन्धु सतलुज नदीयाँ हमारी, सिन्धु जल भी हमारा है,
मिटा देंगे पाकिस्तानी नक़्शा, आतंकियों हमसे लड़ोगे?
नीतियाँ पूर्व शासकों की, तुमको सिर बैठा लिया,
आतंक के वंशजों को, उन्होंने सिर पर चढ़ा लिया।
तुष्टिकरण का खेल खेलकर, दुश्मन घर में पाले,
उनका सिर कटना निश्चित, जिसने सिर अडा लिया।
सच मान लो पाकिस्तान अब, टुकड़ों में बँटने वाला,
बलूचिस्तान अलग होगा, पी ओ के भारत आने वाला।
एल ए सी लाहौर में होगी, पहले भी तुमको बतलाया,
पंजाब सिंध प्रांत अलग हो, पाकिस्तान टूटने वाला।
खून की नदियाँ बहेंगीं, किसको धमका रहे हो,
मुजाहिर पाकिस्तान में, किसको समझा रहे हो?
इतिहास के पन्ने पलटना, पढना क्या औक़ात थी,
धोखे का इतिहास तुम्हारा, किसको लडवा रहे हो?
तुम सगे न बाप के, भाई के हुये न कभी,
जो अपनों के न हुये, गैर के हुये न कभी।
पाकिस्तानी वफा, किसी को भरोसा नहीं,
सत्ता के भूखे भेड़िये, क़ौम के हुये न कभी।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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