हैं बहुत कुछ मुमकिन, यहाँ गर ठान लें,
पाकिस्तान की छाती, धनुष हम तान दें।
कह रहे थे कुछ भी नहीं हो सकता यहाँ,
नेतृत्व पर भरोसा करें, योग्यता को मान दें।
बस यही सार प्रबंधन का, गीता से सीखा,
लेना किसी से काम क्या, कृष्ण में दिखा।
विगत सरकारो में रक्षा अनुसंधान था कहाँ,
वर्तमान गगन के सीने पर, इतिहास लिखा।
आत्मनिर्भर हम बनें, अब राष्ट्र ने ठान लिया,
राष्ट्र उत्थान हित, शस्त्रों का निर्माण किया।
आकाश मिसाइल- ब्रह्मोस, गगन मे छा गये,
भारत सदा विश्व गुरु, विश्व को पैग़ाम दिया।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
पाकिस्तान की छाती, धनुष हम तान दें।
कह रहे थे कुछ भी नहीं हो सकता यहाँ,
नेतृत्व पर भरोसा करें, योग्यता को मान दें।
बस यही सार प्रबंधन का, गीता से सीखा,
लेना किसी से काम क्या, कृष्ण में दिखा।
विगत सरकारो में रक्षा अनुसंधान था कहाँ,
वर्तमान गगन के सीने पर, इतिहास लिखा।
आत्मनिर्भर हम बनें, अब राष्ट्र ने ठान लिया,
राष्ट्र उत्थान हित, शस्त्रों का निर्माण किया।
आकाश मिसाइल- ब्रह्मोस, गगन मे छा गये,
भारत सदा विश्व गुरु, विश्व को पैग़ाम दिया।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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