Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

पहली बारिश

 

पहली बारिश
--
छम-छम बूँदें पड़ रहीं, दादुर करते शोर।
इन्द्रधनुष को देखकर, मन हो गया विभोर।१।
--
कल तक गरमी थी बहुत, मन था बड़ा उदास।
आज व्योम के नीर से, बुझी धरा की प्यास।२।
--
बारिस का जलपान कर, आम हो गये खास।
पक जायेंगे आम जब, देंगे मधुर मिठास।३।
--
एक दिवस में हो गया, मौसम में बदलाव।
धरती के भरने लगे, धीरे-धीरे घाव।४।
--
झुलसे लू की मार से, मैदानी परिवेश।
हरी-हरी अब घास का, होगा नया निवेश।५।
--
पशुओं को चारा मिले, इंसानों को अन्न।
बारिश आने से सभी, होंगे अब सम्पन्न।६।
--
अपनी धुन में मगन हो, बया बुन रही नीड़।
नभ में घन को देख कर, हर्षित काफल-चीड़।७।
--
जलभराव से नगर का, बदल गया भूगोल।
पहली बारिश में खुली, शासन की सब पोल।८।
--
पुरवैया के साथ में, पड़ने लगी फुहार।
सूखे बाग-तड़ाग में, आया नया निखार।९।
--
सुख़नवरों ने कर दिये, लिखने शुरू कलाम।
मजदूरों को मिल गया, खेतों में अब काम।१०।
--

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ