Subject: Sameeksha-swargvibha -माँ ने कहा था
यादों की कैनवससंजू सरन
यादों की कैनवस पर हम अपनी उन तमाम यादों को उकेरते हैं जिन्हे हम खुद भोगते हैं चाहे वो खुशियां हो या गम ।
देवी नागरनी जी ने भी अपनी पुस्तक "मां ने कहा था"में उन्ही यादों को उकेरा है।मां तो एक माध्यम है मां के बहाने उन्होंने नारी के अंतस मन की पीड़ा को,नारी की दुर्दशा को दर्शाने का प्रयास किया है जो काबिले तारीफ है।
अखंड भारत को जब दो टुकड़ों में बांट दिया गया केवल धर्म के आधार पर तो मातृभूमि का हृदय भी छलनी हुआ होगा , और उन्होंने बंटवारे का दंश भी झेला है जो उनकी रचना में देखने को मिलती है।
बंटवारे में केवल धरती के टुकड़े नहीं हुई कितने दिल टूटे ,कितने अरमान टूटे।
देश के विभाजन के साथ ही साथ लोगो के सोच में बदलाव आए जो नारी घर की जीनत होती थी उनकी आबरू को सरे आम लहुलुहान किया गया ये त्रासदी उस समय भी हुआ था और आज भी हो रहा है।
मां एक किसी की मां नहीं बल्कि सारी नारी जाति का प्रतीक है।
भले ही सिंध और हिन्द प्रदेश में बंटवारा हो गया पर लोगो की सोंच में नहीं।
कोई भी काव्य चाहे वो हिंदी में लिखी हो सिंधी में सभी में मानवीय संवेदनाएं ही दर्शाई जाती है।सरहदें भाषा भले ही अलग हो पर सोच वही होती है।
देवी जी ने इस काव्य संग्रह"मां ने कहा था"जो मूलतः सिंधी भाषा में रचा गया है उसका हिंदी में अनुवाद करके हम हिंदी भाषियों को भी सिंधी काव्य का रसास्वादन करवाया है।वैसे भी काव्य में रस को महत्व बहुत होता है भले ही पंडित जगन्नाथ की सौंदर्य रस से सराबोर ये कविताएं नहीं है या नायिका के नख शिख का वर्णन नहीं है पर यहां भी नायिकाएं जीवन की जटिलता को झेलती है, समाज के ताने को सहती है और कर्मठ होकर जीवन का कार्यक्रम करती है।
देवी जी की रचनायों में नारी द्वंद ,पीड़ा ,उत्पीड़न अधिक देखने को मिलता है और क्यों ना हो वो भी एक नारी है और एक नारी दूसरे नारी की पीड़ा को जितना समझ सकती है उतना कोई नहीं समझ सकता।
"मां ने कहा था" कवितायों के संग्रह में अनेक रचनाएं जो नारी की पीड़ा ,उसकी अतीत की यादें उसकी मन की कोमल भाव को उकेरती हैं।
सबसे पहली रचना कविता संग्रह के नाम से ही है जो मन को छू गया।
मां ने कहा था.
. .....
......
कहां बचा पाई मैं खुद को
उस हादसे से?
दानवता के उस षडयंत्र से?
जिसने छल से
मेरे तन को,मेरे मन को
समझकर एक खिलौना
खेलकर,तोड़ कर मड़ोर कर
फेंक दिए वहां
सही ही लिखा उन्होंने नारी के हृदय को लोग कहां समझते हैं वो तो एक वस्तु है जिसका जब चाहों उपयोग करों फिर उसे फेंक दो,चाहे वो पत्नी हो या कोई ।
बदनाम औरत भी मुझे बहुत अच्छी लगी ,जहां नारी एक ओर त्याग की मूर्ति होती है वहीं जब ईर्ष्या ,लालच उसके मन में आती है तो वो भटक जाती है।उन्होंने इस कविता में कैकई, मंथरा,उसके बाद बच्चे को जन्म दिलवाने वाली दाई के बीच की समानता को दिखलाने की कोशिश की, कि किस तरह दाई एक नवजात शिशु की हत्या करती है।
इसके अलावा मुझे नींव, दर्द का अहसास मुझे बहुत अच्छा लगा।
दर्द की अहसास की ये पंक्तियां दिल को छू गई।
नारी के अपमान के
निर्वस्त्र जब उसकी परतें हुई
बेलिवासी जिस्म ने जब ओढ़ ली,
कोई पांडव , कृष्ण कोई
अंग वस्त्र ना ला सका।
सच आज कितनी नारियां बहशी दरिंदों की हवस की शिकार हुई,कितने को मार दिया गया पर कोई कुछ ना कर सका।
कवि वही होता है जो युगीन सच्चाई को लोगो के समक्ष लाएं और देवी जी की रचना युगीन सच्चाई को बयान करती है।
उन्होंने उत्पादन का जमाना नामक कविता में रिश्तों में उत्पादन के सिद्धांत को दिखलाया ।
सच आज के रिश्ते तो अर्थ पर ही आधारित है जबतक अर्थ है सभी पूछेंगे ।
दिल का चौपाल ,चक्रव्यूह ये सब रचनाएं मानवीय भावों को लेकर लिखी गई है।
नारी की सोच उसकी अंतर्मन के कोमल भाव दिल के चौपाल में जीवंत रूप से उकेरा गया है।
क्षणिकाएं भले ही थोड़े शब्दों में लिखा गया है पर हृदय को छूती है।
उनकी ये क्षणिकाएं मुझे बेहद अच्छी लगी।
तुमने कहा था
झूठी कसम खाकर
तुमने कहा था
मैं मांसाहारी नहीं हूं
क्यूंकि तुम गरीबों का खून पीते हो।
ये भले ही क्षणिकाएं पर इसमें गहन सोच एक प्रश्न है।
देवी जी की रचनाएं हमारे समाज की बुराइयों पर प्रहार करती है चाहे वो नारी की पीड़ा हो ,बंटवारे का दंश हो या राजनीति रोटियां संकेने वाले लोग सभी को वो कटघरे में खड़ा करती है।
उम्मीद करती हूं इस कविता के संग्रह पढ़ने के बाद लोगो की सोच मे बदलाव आए।
मां ने कहा था कविता संग्रह में मां की कथनों को पर जोर दिया गया है जिसमें मां अपने बच्चों को उचित और अनुचित का फ़र्क समझाती है वैसे ही कवियत्री ने मां को माध्यम बनाकर स्त्री पीड़ा से साक्षात्कार करवाया है।
ईश्वर से यही प्रार्थना है कि इस कविता के संग्रह को पढ़कर लोग नारी की पीड़ा उसके मनोभाव को समझे तथा मां की दिख पर अमल करें....।
संजू शरण
२ ई निष्ठा रेसीडेंसी
१२०/ बी
आनंदपुरी पटना
वेस्ट बोरिंग कैनाल रोड पटना ।
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