Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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संवेदना,अन्तः दर्शन

 

 

संवेदना जरूर किसी महान ग्रंथ से निकला हुआ शब्द है तभी तो इंसानों के अंदर भावुकता का काम करता है I उसे महसूस करने पर मजबूर करता है I
संवेदना शब्द अपने आप में एक महत्वपूर्ण है I जिस किसी ने इस शब्द की उत्पत्ति की है वह जरूर महापुरुष होगा I महान आत्मा होगी I संसार में विकाश दर से देखने वाला महाज्ञानी होगा I खैर :छोडो नाम तो मुझे नहीं मालूम इतना व्यक्त कर सकता हूँ I वह अग्रणी धनी शब्दों से भरा धनवान होगा I
संवेदनशील व्यक्तियों के अंदर एक क्रम चलता है I सत्कार होता है I प्राणी हो या कोई वस्तु या सड़क पर पड़ा तिनका ,सभी के लिए समान अनुभूति का सवेरा होता है I
विश्व जगत का हर प्राणी प्रकृति का सेवक है I प्रकृति समय समय पर उन पर सफल प्रयोग करती रहती है I उन्हें अहसास दिलाती रहती है I उनके अंदर बसे संवेदनशील भाव का उकेरा करती रहती है ताकि दूसरों के प्रति सहानुभूति हो I
संवेदना शब्द का महत्व हमारे जीवन में अहम है I ये हमारी अंदर की कड़ियों को उस रास्ते से जोड़ता है, जिनमें सफलता के द्वार हमेशा खुले रहते है I कभी कभी हमें उन राहों से गुजरना होता है I जिनका सीधा तात्पर्य हमारे जीवन से जुड़ा है I
इंसान कितना भी कठोर ,निर्दयी क्यों न हो किन्तु दूसरे प्राणियों के प्रति जरूर भावुक होता है I भले ही थोड़े समय के लिए ,जरूर संवेदना व्यक्त करता है I अन्तः कण से निकली आवाज को सिरों धारण करके सम्मान करता है I
मेरे ख्याल से संवेदना शब्द से सभी को परिचित हो जाना चाहिए उसे पहचानना चाहिए I अर्थ को अपने जीवन में उतरा लेना चाहिए I मन में जो तरंगे उठती हैं उन पर गौर करनी चाहिए I आखिर क्यों कैसे ई ?
कभी कभी मुझे भी ऐसा लगता है I मेरे अंदर कुछ छिपा है वह बाहर आने के लिए परेशान है I जब भी कोई देश प्रेम की बातें करता है I मन में खलबली अपना रूप ले लेती है I मुझे झकझोर कर कुछ कहती है और मैं सवेदना से भर जाता हूँ I
संवेदना किसी से घिरा बंधा शब्द नहीं है I वह कभी भी मन में उत्पन्न हो सकता है I तथा दूसरों के प्रति भावुक होने के लिए मजबूर कर सकता है चूंकि ये शब्द संवेदना है I

 

 

लेखक परिचय
अशोक बाबू माहौर

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