Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

जब हृदय बोझिल हुआ

 
जब हृदय बोझिल  हुआ आँखें सजल हो गई।
मुस्कराये लफ़्ज़ तो फिर  ताज़ा ग़ज़ल हो गई।
किसी को खुशियाँ   मिली  कोई   हुआ गमज़दा,
कोई डूबा सोच में और किसी से पहल हो गई।

©अमरेश सिंह भदौरिया



Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ