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Dr. Srimati Tara Singh
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परमाणु साये में मानवता

 
परमाणु साये में मानवता : एक भयावह आशंका

भारत और पाकिस्तान, दो परमाणु शक्ति-संपन्न पड़ोसी राष्ट्र, इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। दशकों से चले आ रहे कटु संबंध और अविश्वास का गहराया हुआ माहौल, अक्सर क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा पैदा करता रहा है। ऐसे में परमाणु युद्ध की आशंका मात्र ही मानवता के लिए एक भयावह दुःस्वप्न है। यदि दुर्भाग्यवश यह अकल्पनीय वास्तविकता में बदलता है, तो इसके परिणाम केवल इन दो देशों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि पूरी दुनिया को एक गहरे और अपरिवर्तनीय अंधकार में धकेल देंगे।

परमाणु युद्ध का पहला और सबसे क्रूर प्रहार होगा — करोड़ों निर्दोष नागरिकों की जान का जाना। पलक झपकते ही घनी आबादी वाले शहर, परमाणु विस्फोटों की प्रचंड ऊष्मा और शॉकवेव से खंडहरों में तब्दील हो जाएंगे। विस्फोट के केंद्र में तापमान सूर्य की सतह से भी अधिक होगा, जहाँ जीवन की कोई संभावना नहीं बचेगी। इसके बाद फैलने वाला आग का बवंडर सब कुछ अपनी चपेट में ले लेगा। जो लोग प्रत्यक्ष प्रभाव से बच जाएंगे, वे घातक विकिरण की चपेट में आ जाएंगे, जिससे कुछ ही घंटों या दिनों में उनकी दर्दनाक मृत्यु हो जाएगी। अस्पताल और चिकित्सा सेवाएँ नष्ट हो जाएँगी, जिससे घायलों की चीखें अनसुनी रह जाएँगी। यह एक ऐसी मानवीय त्रासदी होगी, जिसकी कल्पना करना भी कठिन है।

लेकिन विनाश यहीं नहीं रुकेगा। परमाणु विस्फोटों से वायुमंडल में उठने वाला धूल और कालिख का गुबार सूर्य की रोशनी को अवरुद्ध कर देगा। इसके परिणामस्वरूप "परमाणु सर्दी" का एक नया युग शुरू होगा, जहाँ वैश्विक तापमान में भारी गिरावट आएगी। लहलहाते खेत बंजर भूमि में बदल जाएँगे और खाद्य श्रृंखला पूरी तरह चरमरा जाएगी। व्यापक भुखमरी और प्यास से लाखों और लोग काल के गाल में समा जाएँगे। पीने के पानी के स्रोत विषाक्त हो जाएँगे, जिससे जलजनित बीमारियाँ महामारी का रूप ले लेंगी। ओजोन परत, जो हमें हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है, बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगी, जिससे जीवित बचे लोगों में त्वचा कैंसर और अन्य गंभीर रोगों का ख़तरा कई गुना बढ़ जाएगा।

आर्थिक रूप से, परमाणु युद्ध भारत और पाकिस्तान को सदियों पीछे धकेल देगा। पुल, सड़कें, कारखाने और ऊर्जा संयंत्र पल भर में मलबे में बदल जाएँगे। व्यापार और वाणिज्य पूरी तरह ठप हो जाएगा। वित्तीय प्रणालियाँ ध्वस्त हो जाएँगी और अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी। पुनर्निर्माण के लिए अथाह संसाधनों और दशकों के अथक प्रयासों की आवश्यकता होगी, और यह भी निश्चित नहीं है कि दोनों देश कभी अपनी पिछली आर्थिक स्थिति में लौट पाएँगे। क्षेत्रीय सहयोग और विकास की संभावना हमेशा के लिए धूमिल हो जाएगी।

सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह बिखर जाएगा। सरकार और क़ानून व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी, जिससे अराजकता और हिंसा का बोलबाला होगा। जीवित रहने की मूलभूत आवश्यकताएँ दुर्लभ हो जाएँगी और मानवीय गरिमा का कोई मूल्य नहीं रह जाएगा। लाखों लोग अपने घरों से बेघर होकर शरणार्थी बन जाएँगे, पड़ोसी देशों पर असहनीय दबाव डालेंगे और क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ाएँगे।

परमाणु युद्ध के परिणाम केवल भारत और पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं रहेंगे। वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी। आपूर्ति श्रृंखलाएँ टूट जाएँगी, ऊर्जा की क़ीमतें आसमान छूने लगेंगी और वैश्विक व्यापार में भारी गिरावट आएगी। सबसे खतरनाक बात यह है कि परमाणु हथियारों का प्रयोग एक भयावह मिसाल कायम करेगा, जिससे अन्य राष्ट्र भी परमाणु हथियारों की होड़ में शामिल हो सकते हैं और दुनिया एक और भी खतरनाक भविष्य की ओर बढ़ जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और संस्थाएँ शक्तिहीन साबित होंगी।

यह सर्वविदित सत्य है कि परमाणु युद्ध का कोई विजेता नहीं होता। यह केवल सर्वनाश और विनाश लाता है। भारत और पाकिस्तान के नेताओं को इस भयावह वास्तविकता को समझना होगा और जिम्मेदारी का परिचय देना होगा। बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़ने का एकमात्र सभ्य और बुद्धिमानीपूर्ण मार्ग है। तनाव कम करने, विश्वास-बहाली के उपायों को मजबूत करने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए ठोस और निर्णायक क़दम उठाने की तत्काल आवश्यकता है।

परमाणु हथियारों के साये से मुक्त एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य ही दोनों देशों के लोगों की सच्ची आकांक्षा है। इस अकल्पनीय त्रासदी को हर क़ीमत पर टालना होगा, क्योंकि इसके बाद केवल राख और पश्चात्ताप ही शेष रह जाएगा। यह संपादकीय दोनों देशों के नेतृत्व और नागरिकों से शांति और समझदारी की अपील करता है, ताकि परमाणु युद्ध के अभिशाप से बचा जा सके।

“युद्ध की राख में कोई इतिहास नहीं लिखा जाता, केवल उजड़ी सभ्यताओं की गूंज सुनाई देती है। अब भी समय है, कि दोनों देश शांति का दीप जलाएँ, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ राख नहीं, हरियाली और उम्मीद की विरासत पाएँ।”

—अमरेश सिंह भदौरिया




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