Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ ममता तेरी समझ न सका

 

 

बचपन में पाया प्यार तेरा
उतना जितना मैं लायक न था
इतराता रहा मटकता रहा
माँ! ममता तेरी समझ न सका |

 

दीदी यही समझती रही
तू प्यार मुझे हीं करती है
में फूला नहीं समाता रहा
माँ! करुणा तेरी समझ न सका |

 

मैं छोटा था और भोला था
अपने को अच्छा समझता था
इसीलिए, प्यार पाता था
माँ ! मृदुलता तेरी समझ न सका |

 

दीदी ताने सुनती थी
फिर भी आगे पढ़ती गयी
अपने कष्टों को सहती थी
पर पग पग आगे बदती गयी |

 

जैसे जैसे बदता गया
प्यार में और बिगड़ता गया
पापा की डाटें तू सहती रही
माँ ! सरलता तेरी समझ न सका |

 

जीवन के इस पड़ाव पे भी
पिछड़ा हूँ अपने बहना से
वह अधिकारी मै चपरासी
अति प्यार का यह परिणाम है माँ |

 

कौन कहता लड़कियाँ पीछे है?
हाँ, लड़के ज़रूर नीचे हैं,
बराबरी की तुला पे आज
लड़कियों से परिवार गौरवान्वित है |

 

 

Alakh Sinha

 

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