Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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किसी एक के नहीं ,ये जुमले हैं हजारों के

 

किसी एक के नहीं ,ये जुमले हैं हजारों के,
खिजां ने टेक दिए हैं घुटने आगे बहारों के....


सड़क पर जल्दी जानलेवा होती है अक्सर ,
हादसे बहुत से देखे हैं हमने रफ्तारों के......


ऊँगली अपने कातिल के जानिब न उठाई गयी,
लब भी खामोश थे मेरे ,साथ ही राजदारों के......


सकूने दिल न मिले कभी तो आना हमारी गली,
यहाँ आशियाँ मिलेंगे तुम्हे सभी गम्ख्वारों के..........

 

गम्ख्वारों =हमदर्दों


गुफ्तगू का दिल न हो तो फेर लो नज़रें मुझसे,
इशारा ही काफी है वास्ते हम समज्दारों के ......


दूसरों की जीस्त रोशन कर जो चले गए,
कभी बुझते नहीं आदर्श चराग उन मजारों के.......

 

 

आदर्श

 

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