Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बहुत याद आते है बचपन के दिन

 

बहुत याद आते है बचपन के दिन

उदासी को लाते है बचपन के दिन
खेलता है जब कोई बच्चा छुपान छुपाई

उसमे ही छुप जाते है बचपन के दिन

जब कभी होती बारिस शहर की कश्तीया बनाते है
खूब यादे के महल मे घूमाते है बचपन के दिन

जब होता हू अकेला तो दोस्त
बन जाते है मस्ती कराते है बचपन के दिन

मैने कभी आँसू नही बहाये इतने

सुहानी यादे कौ सोचकर आये जितने

हमारी आँखे के तारे दोस्तो के दुलारे थे बचपन के दिन

हम जग से नियारे बहुत सयाने होते थे

कभी नही अकेले मे यू पडे रोते थे

एक दूसरो के लिये काम आते थे

कभी कभी शरारत मे हमारे भी नाम आते थे

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