Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

पुकार

 

क्यों रुके हैं कदम वो मेरी राहे डगर कहाँ है
इन थमे पलों में वो बात वो मंज़र कहाँ है
सजा रखे थे जो मैंने वो मेरे ख्वाबों का समुन्दर कहाँ है

 

 

इस अधूरेपन का कोई राज बता दे
मन की हलचल का अंदाज़ समझा दे
थाम के हाथ कोई रास्ता दिखा दे
ठन्डे पड़े जूनून को फिर से पिघला दे
वो साथी वो मेरा हमसफ़र कहाँ है
इन थमे पलों में वो बात वो मंज़र कहाँ है

 

 

क्यों ये राहें मेरी अपनी सी नहीं लगती
इन बरसातों में वो संतोष वो ख़ुशी नहीं लगती
ये दुनियादारी की बातें सच्ची नहीं लगती
झूठी सी ज़िन्दगी ये अच्छी नहीं लगती
जो देदे सुकूँ मुझे वो मेरा रहबर कहाँ है
इन थमे पलों में वो बात वो मंज़र कहाँ है

 

 

मेरे खुदा बस इतनी इल्तज़ा है
बता दे मुझे ये कैसी सजा है
क्यों इंसान खिलोने बस दौलत मज़ा है
कहाँ है वो अच्छाई कहाँ वो अदा है
जहाँ रहता है तू वो तेरा घर कहाँ है
इन थमे पलों में वो बात वो मंज़र कहाँ है
सजा रखे थे जो मैंने वो मेरे ख्वाबों का समुन्दर कहाँ है

 

 

 

 

........Ayushi Gupta

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ