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दिसंबर के पहले रेल की सीटी शायद ही सुनाई दे सिवनी में!
मंडला संसदीय क्षेत्र में प्राथमिकता पर काम करने वाले रेल्वे अधिकारी बालाघाट संसदीय क्षेत्र में आते ही क्यों हो जा रहे हैं सुस्त! रेल की पटरी भोमा के बजाए नैनपुर में क्यों उतारीं! बेकार की बहानेबाजी कर रहे रेल्वे के अधिकारी, सांसद डॉ. बिसेन को दिखाना होगा सख्ती!
(लिमटी खरे)
सिवनी (साई)। देश का हृदय प्रदेश कहा जाता है मध्य प्रदेश को क्योंकि यह देश के मध्य में स्थित है। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के साथ प्रदेश और केंद्र के द्वारा लगभग तीन दशकों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सिवनी के सांसदों और विधायकों के द्वारा सिवनी के साथ होने वाले अन्याय के संबंध में किसी तरह की आवाज बुलंद न किया जाना भी अपने आप में आश्चर्य का ही विषय माना जाएगा।
सिवनी जिले में फोरलेन के निर्माण में अनगिनत बाधाओं को हटाने में जिले के दो सांसद और चारों विधायक लगभग एक दशक तक बौने ही साबित होते रहे। केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा दी गई सशर्त स्वीकृति के बाद ही यहां सड़क के निर्माण के मार्ग प्रशस्त हो पाए।
05 साल 08 माह हो गए मेगाब्लाक लगे हुए
इसके उपरांत सिवनी में नेरोगेज से ब्राडगेज अमान परिवर्तन के लिए लगातार ही आवाजें उठती रहीं किन्तु केंद्र में सिवनी का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। 01 दिसंबर 2015 को सिवनी में नेरोगेज से ब्राडगेज अमान परिवर्तन के लिए दो साल के लिए मेगाब्लाक लगाया गया था। मेगाब्लाक लगे लगभग छः साल बीतने के बाद भी अब तक काम पूरा नहीं हो पाया है।
छिंदवाड़ा व मंडला संसदीय क्षेत्र रहा पहली प्राथमिकता!
इधर क्षिण पूर्व मध्य रेल्वे मुख्यालय बिलासपुर के महाप्रबंधक कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी जिले के आसपास जिस तरह से रेल्वे का तकनीकि प्रभाग का अमला काम कर रहा है उसे देखकर तो यही प्रतीत हो रहा है कि रेल्वे के अधिकारियों के लिए मण्डला और छिंदवाड़ा जिले में काम करना पहली प्राथमिकता है। इसका कारण यह है कि मण्डला संसदीय क्षेत्र में घंसौर से नैनपुर, नैनपुर से मण्डला, नैनपुर से कान्हीवाड़ा होकर भोमा (संपूर्ण क्षेत्र मण्डला संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है) में काम पूर्ण कर लिया गया है।
इसके अलावा छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में छिंदवाड़ा से चौरई तक का काम भी पूर्णता की ओर है। रही बात बालाघाट संसदीय क्षेत्र की तो बालाघाट संसदीय क्षेत्र में भोमा से सिवनी होकर चौरई तक के हिस्से में अभी तक काम मंथर गति से ही चल रहा है। हालात देखकर यह कहना है कि मण्डला और छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में तो काम की रफ्तार बहुत अधिक रहती है पर जैसे ही बालाघाट संसदीय क्षेत्र का सिवनी जिले का हिस्सा आता है रेल्वे के अधिकारी सुस्त हो जाते हैं।
नैनपुर में उतारी रेल
सूत्रों ने आगे बताया कि भोमा से सिवनी होकर चौरई तक के रेलखण्ड में बिछने वाली रेल (पटरियों को रेल्वे में आम बोलचाल की भाषा में रेल ही कहा जाता है) को नैनपुर में उतारा गया, जबकि रेल्वे के अधिकारी अगर चाहते तो रेेल को लाने वाले रैक को भोमा तक लाया जा सकता था, क्योंकि भोमा तक सीएसआर निरीक्षण हो चुका है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि इसके अलावा अधिकारियों के द्वारा क्षेत्रीय संसद सदस्य को भी भरमाया जा रहा है कि भोमा से सिवनी तक के हिस्से में रेल बिछा दी गई है, जबकि हकीकत यह है कि भोमा से सिवनी के बीच तीन किलोमीटर के हिस्से में अभी पटरी बिछाई ही नहीं गई है। अगर रेल की पटरी भोमा से सिवनी के बीच बिछ चुकी है तो इस हिस्से का तकनीकि निरीक्षण कराया जाना चाहिए था और रेल की पटरियां नैनपुर के बजाए भोमा या सिवनी में उतारी जाना चाहिए थीं। अब इन पटरियों को सड़क मार्ग से ढोकर सिवनी लाया जा रहा है।
अनावश्यक बहानेबाजी जारी!
रेल्वे के अधिकारियों के द्वारा बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सिवनी जिले के हिस्से में मंथर गति से काम करने पर अनावश्यक बहानेबाजी की जा रही है। सबसे पहले रेल्वे के अधिकारियों के द्वारा समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान यह कहा गया कि इस हिस्से का काम करने वाले ठेकेदार ने आत्म हत्या कर ली थी इसलिए काम में विलंब हो रहा है, जबकि हकीकत यह है कि सिवनी के इस हिस्से के अलावा उसी ठेकेदार के द्वारा मण्डला संसदीय क्षेत्र में भी चार हिस्सों में काम लिया गया था जो अब पूरा हो चुका है।
इसके बाद रेल्वे के अधिकारियों के अधिकारियों के द्वारा कोरोना काल और लॉक डाऊन की बात कही गई। जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा कोरोनाकाल और लॉक डाऊन में मण्डला और छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में काम किए जाने की बात कही गई तो अधिकारी निरूत्तर हो गए।
दिसंबर तक कोई उम्मीद नहीं!
इसके बाद जून माह में जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा रेल्वे के अधिकारियों से चर्चा की गई और उनसे कहा गया कि बालाघाट के सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन के द्वारा जून 2021 में काम पूरा करने का लक्ष्य दिया गया था, तो रेल्वे के डिप्टी एसई मनीष लावणकर ने उस समय कहा था कि जून का लक्ष्य कभी रखा ही नहीं गया, अलबत्ता सिवनी तक का काम पूरा करने के लिए अगस्त 2021 तक का लक्ष्य था और बारिश के बाद भी वे अगस्त तक सिवनी में कमीशन ऑफ रेल्वे सेफ्टी (सीआरएस) करवाने की स्थिति में होंगे।
इधर, शनिवार को डिप्टी एसई मनीष लावणकर ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि बरसात में काम करना संभव नहीं है, इसलिए अब बरसात के बाद ही सिवनी में कुछ काम हो पाएगा। इसके चलते भोमा से सिवनी के बीच कमीशन ऑफ रेल्वे सेफ्टी (सीआरएस) दिसंबर के पहले शायद ही हो पाए।
कुल मिलाकर रेल्वे के अधिकारियों के रवैए को देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि बालाघाट संसदीय क्षेत्र में रेल की पटरी बिछाने के काम को रेल्वे के अधिकारियों के द्वारा अंतिम प्राथमिकता पर रखा गया है। वरना क्या कारण है कि सिवनी जिले में बालाघाट संसदीय क्षेत्र के हिस्से को अगर छोड़ दिया जाए तो दोनों सिरों पर (छिंदवाड़ा और मण्डला संसदीय क्षेत्र वाले) काम को युद्ध स्तर पर कराया गया है।
इस मामले में बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन से अपेक्षा है कि वे अब कुशल और कड़क प्रशासक की भूमिका में आएं और जून 2021 की समय सीमा में काम न हो पाने के लिए अधिकारियों से न केवल जवाब तलब करें वरन रेल्वे बोर्ड के अध्यक्ष, रेल मंत्री, महाप्रबंधक आदि को कड़ा पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताएं एवं लोकसभा में इस संबंध में प्रश्न भी करें ताकि भोमा से सिवनी होकर चौरई के बीच के रेलखण्ड में अमान परिवर्तन में विलंब के संबंध में लोगों के सामने सच्चाई आ सके।
दिसंबर तक करें इंतजार!
फेज टू के लिए नए सर्वसुविधायुक्त रेल्वे स्टेशन का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। भोमा से सिवनी के बीच विलंब का कारण बरसात है। इस हिस्से के सीएसआर के लिए दिसंबर तक इंतजार करना होगा।
मनीष लावणकर,
डिप्टी, एसई, नैनपुर.

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