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गंदगी से बजबजाने लगा समूचा शहर
बारिश में नालियां बनीं सिरदर्द, जलावर्धन के गड्ढे बन रहे मुसीबत!
(सादिक खान)
सिवनी (साई)। बारिश के मौसम में स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां बुरी तरह उड़ती नजर आ रही हैं। शहर की नालियां पॉलीथिन और कचरों से अटी पड़ी हैं। बारिश में पानी इन नालियों की बजाय सड़कों से होकर बह रहा है। वहीं, बारिश के थमने के साथ ही नालियों से उठने वाली सड़ांध भी लोगों को परेशान कर रही है।
नगर के विभिन्न वार्डों व चौक - चौराहों तथा बाजारों में भले ही पालिका के द्वारा कचरा संग्रहण के लिये पात्र रखे गये हों किन्तु ये पात्र ही कचरों से अटे पड़े नजर आ रहे हैं। आवारा मवेशी, सूअर, कुत्ते आदि इन पात्रों में भरे कचरे को यत्र-तत्र बगराते नजर आते हैं।
लंबे समय से सुबह से लेकर शाम के समय पालिका की कचरा संग्रहित करने वाली संगीतमय गाड़ियां नगर में घूमती हों, लेकिन इन गाड़ियों में सिर्फ लोगों के घरों का ही कचरा डाला जाता है। फुटपाथ पर या बाजार में दुकानों का कचरा इन गाड़ियों तक कम ही पहुँचता है।
इसके परिणाम स्वरूप शहर के मुख्य बाजार और सर्वाधिक आवाजाही वाले चौक - चौराहे तथा कुछ सार्वजनिक स्थलों के आसपास व्यापक गंदगी देखी जाती है। इसका एक उदाहरण नगर के बीचों बीच स्थित अमर छविगृह के किनारे से काजी चौक जाने वाली सड़क है, जिसके दोनों ओर भारी मात्रा में कचरा पड़ा रहता है। यहाँ की नाली पूरी तरह कचरे से पटी हुई है और लोग इस स्थान का उपयोग मूत्रालय के रूप में भी करते हैं, जिससे यहाँ गंदगी के साथ ही दुर्गंध भी जमकर फैली रहती है।
नगर पालिका की अकर्मण्यता के चलते शहर में बारिश के मौसम में नालियां अब परेशानी का सबब बनने लगी हैं। बारिश के दौरान नालियों में अटा कचरा सड़कों पर बह रहा है तो नवीन जलावर्धन योजना में पाईप लाईन डालने के बाद उन स्थानों को समतल न किये जाने के कारण अब वहाँ भी नालियां बन गयी हैं।
नगर में जल प्रदाय हेतु नयी जलावर्धन योजना के तहत बिछाये गये पाईप, अब वषार्काल के इन शुरूआती दिनों में ही लोगों की परेशानी का कारण बन गये हैं। समूचे नगर में नयी पाइप लाईन बिछाने हेतु कई छोटी - बड़ी सड़कें खोदी गयीं थीं और उनमें पाईप डालने के बाद उन्हें ढंग से पूरा नहीं गया था।
बारिश के पूर्व के दिनों में तो लोग किसी तरह इन खुदी सड़कों से गुजर जाया करते थे लेकिन अब जबकि बारिश प्रारंभ हो चुकी है तो खुदी हुई सड़कों का हिस्सा पानी और आवागमन के दबाव से दबने लगा है और गड्ढों के रूप में स्पष्ट रूप से उभरकर दिखने लगा है।
लोगों का कहना है कि जैसे ही तेज वर्षा होती है वैसे ही खुदे हुए हिस्से में पानी भर जाता है, जिससे लोगों को उसकी गहरायी का अनुमान नहीं लग पाता है। इसके परिणाम स्वरूप पैदल या वाहन पर चलने वाले जब इस हिस्से से गुजरते हैं तो उन्हें गिरने और फिसलने जैसी स्थिति का सामना भी करना पड़ रहा है।
इतना ही नहीं पानी भरे इस हिस्से से जब कोई वाहन गुजरता है तो किनारे से निकलने वाले व्यक्ति के ऊपर यह पानी उछलकर उसके कपड़े और शरीर को भी गंदा कर रहा है। इस मामले में जिला कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग के ध्यानाकर्षण की जनापेक्षा की जा रही है।

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