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जमकर बिक रही अमानक पालीथिन!

विभाग की चुप्पी दे रही संदेहों को जन्म

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। प्रदेश सरकार, पूरे प्रदेश में पॉलीथिन को बंद करने की घोषणा कर चुकी है लेकिन सिवनी में इसका कोई असर अब तक दिखायी नहीं दे रहा है।

नगर पालिका सहित स्थानीय निकाय भी इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। स्थानीय निकाय ही चुप्पी साधे हुए हैं, जिसके चलते न केवल शहर में पॉलीथिन का कारोबार बढ़ रहा है वहीं उसका उपयोग भी धड़ल्ले से जारी है।

एक ओर जहां पॉलिथीन को खाने से गाय एवं अन्य जानवरों की मौत हो रही है, वहीं कचरे में सबसे अधिक पॉलीथिन ही नुकसान देह साबित हो रही है जो जलने पर जहरीला धुंआ छोड़ती है। नाले और सीवर लाईन में फंसकर, यह पॉलीथिन उसे जाम कर देती है। यह हालात तब हैं जब प्रदेश सरकार के द्वारा पॉलीथिन के बंद करने की घोषण की जा चुकी है।

सजा का प्रावधान

नियमों का उल्लंघन करते पाये जाने पर व्यक्ति संस्था संचालक आदि पर एक माह की सजा और एक हजार रुपये का जुमार्ना किया जा सकता है। वहीं पुनरू दोषी पाये जाने पर 03 माह का कारावास और 05 हजार का जुमार्ना या दोनों लगाया जा सकता है। प्रमुख सचिव मध्य प्रदेश शासन नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा इस साल 25 मई को जैव अनाश्य अपशिष्ट (नियंत्रण) अधिनियम 2004 के तहत कार्यवाही करने के लिये निर्देशित किया गया था।

पॉलिथीन का सबसे अधिक उपयोग सब्जी मंडी, फल मंडी, किराने की दुकान और होटलों और डेयरियों पर हो रहा है। पॉलिथीन में ही खाद्य सामग्री रखकर या झूठन डालकर लोग घूरे पर फेंक देते हैं, जिसे भूखे जानवर अपनी भूख मिटाने के लिये खा जाते हैं और मौत के शिकार होते हैं।

खानापूर्ति के लिए होती है कार्यवाही

अमानक पालीथिन के स्टॉक की धरपकड़ के लिए सिवनी शहर में जो कार्यवाहियां अब तक हुई हैं वे महज खानापूर्ति के लिए ही होती नजर आई हैं। सिवनी में शनिवार (जिस दिन बाजार का अवकाश रहता है) को ही प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के अधिकारियों, कर्मचारियों के द्वारा छापामार कार्यवाही को अंजाम दिया जाता है, जिससे कार्यवाही पर प्रश्न चिन्ह लगने स्वाभाविक ही हैं।


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