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कैसे निपटा जाएगा मलेरिया के दानव से!
चार साल से पदस्थ जिला मलेरिया अधिकारी की कार्यप्रणाली पर लग रहे प्रश्न चिन्ह!
(सादिक खान)
सिवनी (साई)। कोविड 19 के कहर के चलते लगभग डेढ़ साल में मलेरिया के रोगियों की तादाद कागजों में भले ही कम हो चुकी हो, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। पिछले साल की तरह इस साल भी बारिश के मौसम में शहर सहित अनेक जगहों पर पानी भर गया है जो मच्छरों के प्रजनन के लिए उपजाऊ माहौल तैयार करता दिख रहा है।
मच्छरों की फौज कर रही हलाकान
बारिश के मौसम में लोगों को मच्छरों की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। लोगों के घरों, प्रतिष्ठानों, कार्यालयों आदि में मच्छरों की खासी फौज देखने को मिल जाती है। शाम ढलते ही धुंधलके में लोगों के घरों के दरवाजों, खिड़कियां आदि के आसपास मच्छरों की भिनभिनाहट साफ सुनाई दे जाती है। शहर में खाली पड़े भूखण्डों में भरा पानी भी इनके प्रजनन के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करता दिख रहा है।
नहीं हुई लार्वा की जांच
जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि हर साल कम से कम तीन बार डेंगू के लार्वा की जांच के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए, किन्तु लगभग तीन सालों से जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय के द्वारा न तो लार्वा की जांच का अभियान चलाया गया है और न ही स्थानीय निकायों के साथ ही मिलकर इस तरह की कोई कवायद की गई है ताकि मच्छरों के शमन के मार्ग प्रशस्त हो सकें।
धूल खा रहीं फागिंग मशीन
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय में आधा दर्जन फागिंग मशीन धूल खा रहीं हैं, पर इनकी लॉक बुक अगर देखी जाए तो पता चलेगा कि ये लगभग रोज ही उपयोग में आ रही हैं। कमोबेश यही हाल नगर पालिका सिवनी एवं नगर परिषद लखनादौन एवं बरघाट का है।
यह है व्यवस्था
सूत्रों ने बताया कि नगरीय क्षेत्रों (नगर पालिका एवं नगर परिषद की सीमा में) मच्छरों के शमन की जवाबदेही नगर पालिका और नगर परिषद की होती है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के शमन के लिए फागिंग मशीन चलाने का काम जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय का होता है। शहरी क्षेत्र में अगर मरीज मिलने की सूचना मिलती है तो जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय के द्वारा संबंधित निकाय के मुख्य नगर पालिका अधिकारी को लिखित में सूचना दी जाकर वहां फागिंग मशीन चलाने की बात कही जाती है।
नहीं देखे जाते निजि लैब्स के आंकड़े
जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मलेरिया की संभावना हेतु खून की जांच जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय, जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र एवं सिटी डिस्पेंसरी के अलावा निजी अस्पताल या निजि तौर पर संचालित पैथॉलॉजी लेब्स में की जाती है। सूत्रों ने बताया कि जिले के दोनों संसद सदस्य और चारों विधायकों की उदासीनता के चलते सालों से निजि अस्पतालों और निजि वैध और अवैध लेब्स में की गई खून की जांच के आंकड़े लिए ही नहीं गए हैं, जिसके चलते मलेरिया के रोगियों का आंकड़ा कम ही आता है।

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