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नागपुर के चिकित्सक सिवनी आकर लूट रहे मरीजों को!
क्लीनिकल एस्टबलिशमेंट एक्ट का पालन कराने की फुर्सत नहीं सीएमएचओ को
(सादिक खान)
सिवनी (साई)। सिवनी में इन दिनों नागपुर के नाम पर वहाँ के चिकित्सक धड़ल्ले से मरीजों को लूटने में लगे हुए हैं। अनेकों मरीजों का कहना है कि सिवनी में आने वाले चिकित्सकों के द्वारा उपचार के नाम पर महंगी - महंगी दवाएं तो लिख दी जाती हैं लेकिन उनका अपेक्षित फायदा उन्हें नहीं मिलता है।
गौरतलब होगा कि नागपुर के नाम पर इन दिनों वहाँ के कई ऐसे चिकित्सक सिवनी का दौरा सप्ताह के निश्चित दिनों में करते हैं जिनके पास नागपुर में अपेक्षित संख्या में मरीज नहीं आते हैं। ऐसे में इन चिकित्सकों ने नागपुर के नाम का फायदा उठाना आरंभ किया और वे धड़ाधड़ सिवनी का दौरा करने लगे। ये चिकित्सक शुक्रवार को या रविवार को या ऐसे ही किसी निश्चित दिन सिवनी में अपनी आमद देते हैं।
बताते हैं कि ऐसे चिकित्सक जिनके पास नागपुर में निठल्ले बैठे रहने के अलावा कोई काम नहीं होता उनको सिवनी में स्थित किसी मेडिकल स्टोर्स के द्वारा स्थान उपलब्ध कराया जाता है जहाँ बैठकर ये नागपुरी चिकित्सक अपनी दुकानदारी चलाते हैं। मेडिकल स्टोर्स वालों का फायदा ये होता है कि इन चिकित्सकों के द्वारा जो दवाएं पर्ची में लिखी जाती हैं वे उनके अलावा शहर में कहीं और उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।
3000 रूपए दो बैठो बेखौफ होकर!
कोरोना कॉल के बाद जब कोरोना कर्फ्यू में ढील मिलना आरंभ उसके बाद से नागपुर के चिकित्सकों की सिवनी में आवाजाही बढ़ गई है। नागपुर के एक चिकित्सक ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के एक चर्चित और विवादित लिपिक को तीन हजार रूपए प्रतिमाह की राशि देने के बाद बेखौफ होकर नागपुर और अन्य जिलों से आने वाले चिकित्सकों को मेडिकल स्टोर्स में बैठकर चिकित्सा करने की अघोषित अनुमति मिल जाती है।
यहाँ यह गौरतलब होगा कि इन चिकित्सकों के द्वारा अत्यंत महंगी दवाएं मरीज को लिखी जाती हैं। इन दवाओं में मेडिकल स्टोर वाले को तो जमकर कमीशन मिलता ही है साथ ही मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव के द्वारा भी अच्छा खासा कमीशन चिकित्सकों को मुहैया कराया जाता है। परिस्थितियों से मजबूर मरीज, ज्यादा दौड़ भाग नहीं करता और वह नागपुरी चिकित्सक की क्लिनिक के समीप ही मौजूद मेडिकल स्टोर से वह दवाएं खरीद लेता है।
एक भुगत भोगी मरीज ने बताया कि वह नगर पालिका के पास स्थित एक दुकान में प्रति शुक्रवार को आने वाले नागपुरी चिकित्सक के पास उपचार कराने गया हुआ था। इस मरीज ने बताया कि उक्त चिकित्सक जो त्वचा रोग विशेषज्ञ बताये जाते हैं ने उन्हें जो दवाएं लिखीं वे एक हफ्ते के लिये लगभग तीन हजार रूपयों की पड़ रहीं थीं। इस मरीज की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह इतनी महंगी दवाएं एकमुश्त ले पाता। ऐसे में उसने आरंभ में दो दिन की दवाएं लेना ही मुनासिब समझा।
उक्त मरीज ने बताया कि उसके पास रविवार शाम का डोज नहीं था। इसके चलते वह रविवार को नगर पालिका के समीप स्थित उस मेडिकल स्टोर तक जा पहुँचा जिसके ऊपर उक्त त्वचा रोग विशेषज्ञ अपनी दुकानदारी चलाते हैं। रविवार होने से उक्त मेडिकल स्टोर बंद पाया गया। ऐसी स्थिति में खत्म हो चुकी दवा का पत्ता लेकर मरीज, दवा को ढूंढते हुए बारापत्थर स्थित मेडिकल स्टोर जा पहुँचा।
बारापत्थर स्थित मेडिकल स्टोर में बताया गया कि जो दवा का पत्ता मरीज लिये है वह तो उसके पास नहीं है अलबत्ता उसका सब्सीट्यूट (वैकल्पिक दवा) अवश्य मिल जायेगा। इस पर मरीज ने अपनी सहमति दे दी। दवा लेने पर मरीज हतप्रभ रह गया क्योंकि यहाँ जो दवा उसे दी जा रही थी वह थी तो उसी फॉमूर्ले की, सिर्फ कंपनी अलग थी, जिसके कारण उसका नाम मात्र बदला हुआ था। यही नहीं बल्कि उक्त दवा का दाम भी अत्यंत कम था।
मरीज ने बताया कि जो दवा डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी थी उसकी चार गोली का पत्ता उसे 178 रुपये में (मूल्य अंकित था) दिया गया था जबकि दूसरे मेडिकल स्टोर से अब जो दवा दी जा ही थी वह मात्र 78 रुपये की थी। यानि मात्र चार गोली के पत्ते के मूल्य में सीधे - सीधे 100 रुपये का अंतर था। फॉमूर्ला वही लेकिन कीमत में जमीन आसमान का अंतर साफ बता रहा था कि नागपुर के चिकित्सक और सिवनी के नगर पालिका स्थित मेडिकल स्टोर के द्वारा उक्त मरीज को सीधे - सीधे उपचार के नाम पर चूना लगाया जा रहा था।
उधर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि क्लीनिकल एस्टबलिशमेंट एक्ट के तहत अगर कोई चिकित्सक अपना दवाखाना कहीं अन्यत्र ले जाता है तो उसे इसकी सूचना का प्रकाशन निर्धारित साईज में कराना आवश्यक होता है।
सूत्रों की मानें तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इस बात की किंचित मात्र भी परवाह नहीं है कि अन्य प्रदेशों से जो चिकित्सक सिवनी आकर सप्ताह में एक या दो दिन निजि चिकित्सा कर रहे हैं उनकी डिग्री आदि की जाँच की जाये। सीएमएचओ की कथित उदासीनता के चलते बाहर के चिकित्सकों के लिये सिवनी जिले में प्रेक्टिस करना मुफीद ही साबित होता दिख रहा है।
(अगले अंक में दवा निरीक्षक अनुभूति शर्मा के द्वारा मेडिकल स्टोर्स में बैठने वाले चिकित्सकों एवं मेडिकल स्टोर्स का क्षेत्रफल कितना होना चाहिए, उनके निरीक्षण आदि के बारे में विस्तार से रपट)

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