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लोकेश जांगिड़ के कंकर से ठहरे हुए पानी में उठने लगीं लहरें!

सबसे ताकतवर लॉबी के अंदरखाने में उबल रही खिचड़ी!

क्या रंग दिखाएगा एमपी काडर के आयएएस अधिकारी लोकेश जांगिड़ प्रकरण!

(लिमटी खरे)

भारतीय प्रशासनिक सेवा केे मध्य प्रदेश काडर के अधिकारी लोकेश जांगिड़ और आईएएस एसोसिएशन इन दिनों जमकर चर्चाओं में है। चौक चौराहों पर आईएएस लॉबी की चर्चाएं हैं। जांगिड़ के द्वारा सरकार के द्वारा किए गए स्थानांतरण पर जिस तरह की प्रतिक्रिया दी, आईएएस के सोशल मीडिया समूह की चेट डिस्क्लोज हुई, सामान्य प्रशासन विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी के साथ उनकी बातचीत भी सार्वजनिक हुई। निश्चित तौर पर इस सबसे भारतीय प्रशासनिक सेवा संघ की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा ही होगा।

युवा आईएएस अधिकारी लोकेश जांगिड़ के द्वारा जो किया गया है, उस पर पहले विचार किया जाए। उन्होंने दीप्ति गौड़ मुखर्जी के साथ हुए वार्तालाप को न केवल रिकार्ड किया वरन उसे सार्वजनिक भी किया। उन दोनों की बातचीत अगर सुनें तो इसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं लगता। दोनों के बीच के आडियो के बारे में जो भी बातें मीडिया और सोशल मीडिया में आ रही हैं, उसके अनुसार लोकेश जांगिड़ को बड़वानी से उनके तबादले का कारण स्पष्ट नहीं होने पर उनके द्वारा अपने तीन चार आईएएस मित्रों को वह आडियो भेजकर सलाह ली थी। इससे साफ है कि या तो लोकेश जांगिड़ या उनके द्वारा जिन्हें भी आडियो भेजा गया था, उनमें से ही किसी ने इसे सार्वजनिक किया है। आज के जमाने में जब सायबर पुलिस तरह तरह के उपकरणों से सुसज्जित है तब यह पता करना दुष्कर नहीं है कि इस मामले में जयचंद कौन है?

जांगिड़ मामले में सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान का मौन भी आश्चर्यजनक इसलिए माना जाएगा क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने कुछ समय पूर्व ही भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों को जमीन में गाड़ने तक की बात कही थी, पर जब भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी ने दूसरे आईएएस पर वसूली के आरोप (भले ही परोक्ष तौर पर) लगाए तब वे पूरी तरह खामोश ही हैं। इसके अलावा प्रदेश में विपक्ष का मौन भी इस मामले में लोगों को आश्चर्य में ही डाल रहा है।

यह पहला मामला नहीं है जब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विवादों में आए हों। वैसे तो आईएएस लॉबी को सबसे ताकतवार माना जाता है। देश में किसी भी दल का शासन हो, किसी भी प्रदेश में किसी भी दल की सरकार हो, पर माना जाता है कि देश और प्रदेश तो इसी लॉबी के नुमाईंदे चलाते हैं। वैसे अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की बात ही कुछ और है, फिर चाहे वे प्रशासनिक सेवा के हों, पुलिस के वन अथवा किसी अन्य सेवा के। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के अलावा प्रदेश स्तर पर भर्ती अनेक पदों की पैंशन भी लगभग बीस साल पहले ही बंद कर दी गई। इसके अलावा चाहे वन विभाग हो या पुलिस (दोनों ही में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी पदस्थ होते हैं) में सचिवालय में अंतिम निर्णय लेने वाले प्रमुख सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ही हुआ करते हैं।

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को परीवीक्षा अवधि में नायब तहसीलदार से अतिरिक्त जिला कलेक्टर (राजस्व) तक के पदों पर रहकर काम सीखना और समझना होता है। लोकेश कुमार जांगिड़ भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2014 बैच के अधिकारी हैं, एवं वे श्योपुर के बीजापुर में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के बतौर अपना प्रोबेशन आरंभ कर चुके हैं। उनके शुरूआती तेवरों को देखकर यह माना जा रहा था कि वे बहुत ही सख्त मिजाज और तेज तर्रार अधिकारी हैं। बीते चार सालों में उन्हें आठ बार यहां से वहां स्थानांतरित किया गया है।

बहरहाल, सोशल मीडिया व्हाट्स ऐप के एक समूह (जो संभवतः प्रदेश के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का है) में उनके द्वारा बड़वानी से राज्य शिक्षा केंद्र तबादले के पीछे जो वजह (जैसा कि सोशल मीडिया और मीडिया में सामने आया है) बताई थी, वह कम रोचक व आश्चर्य जनक नहीं है। उनका कहना था कि उनके रहते बड़वानी के जिला कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा पैसे नहीं खा पा रहे थे, इसलिए शिवराज सिंह वर्मा के द्वारा सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान के निवास पर किसी से गुफ्तगूं कर उन्हें वहां से हटवा दिया।

लोकेश जाटव के अंदर कितनी पीड़ा या गुबार भरा हुआ है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने आईएएस लॉबी को ही निशाने पर ले लिया। वे लिखते हैं कि आज बड़े अधिकारी नीरे के अतिथि बने हुए हैं। रोम का सम्राट था नीरो और नीरो शाही दावतें देता था। एक बार प्रकाश कम हुआ या लाईट चली गई तो नीरो ने रोशनी के लिए लोगों को ही जलाना आरंभ कर दिया पर दावत में खलल नहीं पड़ने दिया।

लोकेश जांगिड़ के द्वारा कही गई बात अगर सही है तो यह बहुत ही गंभीर आरोप है। यह इसलिए क्योंकि अंग्रेजों के जमाने से अब तक जिले में जिला कलेक्टर का पद बहुत शक्तिशाली होता आया है। बचपन से ही हम सभी सुनते आए हैं कि कलेक्टर जिले का राजा होता है।

लोकेश जांगिड यहां भी रूके नहीं, उन्होंने यह तक लिख दिया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा एक ही जात बिरादरी के हैं। मुख्यमंत्री की पत्नि किरार समाज की अध्यक्ष हैं तो कलेक्टर की पत्नि समाज की सचिव। वे लिखते हैं कि वे किसी से डरते नहीं हैं, पर उनके हाथ घटिया आचरण नियमों से बंधे हैं। उन्होंने लिखा कि जब वे सेवानिवृत होंगे तब एक किताब लिखेंगे जिसमें सारे तथ्यों का खुलासा करेंगे। वैसे जांगिड़ ने मुख्य सचिव को एक आवेदन देकर प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र जाने की इच्छा जाहिर की है।

लोकेश जांगिड़ के इस पूरे प्रहसन से देश के हृदय प्रदेश में तूफान खड़ा दिख रहा है। सियासी बियावान में लोग चटखारे लेकर इस मामले की चर्चाएं कर रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि लोकेश जांगिड़ ने जो कंकर ठहरे हुए पानी में मारा है उससे सुनामी जैसी लहरें उठती दिख रहीं हैं।

इस मामले में आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत केसरी का एक बयान भी आया। उन्होंने कहा कि अधिकारी सुधारवादी हो तो उसका स्वागत है पर पर क्रांतिकारी नहीं होना चाहिए। अगर जांगिड़ को कोई समस्या थी तो राज्य के मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों से मिलकर या उन्हें लिखित में एक रिप्रजेंटेशन देकर उसे हल करवा सकते थे।

अब इस मामले मेें एक नया पहलू यह निकलकर सामने आया है कि जांगिड़ को किसी अज्ञात नंबर से धमकी भी मिलना आरंभ हो गई है। यह पुलिस के अन्वेषण का विषय है, पर इस तरह के संवेदनशील मामले जिसमें प्रदेश के नीति निर्धारक माने जाने वाले आईएएस पर ही लांछन लग रहे हों और इससे शिवराज सिंह चौहान भी प्रभावित हो रहे हों, तब विपक्ष की चुप्पी किस ओर इशारा कर रही है!

लोकेश जांगिड़ और शिवराज सिंह वर्मा के बीच आरंभ हुए इस प्रसंग का अंत क्या होगा यह तो समय ही बताएगा, किन्तु भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी ने अगर किसी अन्य अधिकारी जो उनके इमीजिएट बॉस रहे हों, पर गंभीर आरोप लगाए हों तो राज्य शासन को दोनों ही को वहां से हटा देना चाहिए था, तकि इस पूरे विवाद को ज्यादा हवा न मिल सके . . .!

(साई फीचर्स)


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