Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

04 फरवरी 2020


अपनी बात

आधुनिक भारत की ओर बजट के बढ़ते कदम

(लिमटी खरे)


देश की वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण के द्वारा पेश किया गया बजट अगर देखा जाए तो इसमें तकनीक पर ज्यादा जोर दिया गया है। केंद्र सरकार के द्वारा भविष्य को लेकर जिस तरह का सपना देखा गया हैअगर वह जमीन पर उतरा तो निश्चित तौर पर इस बार के बजट के बाद भारत का स्वरूप कुछ और ही नजर आ सकता है। विजन ट्वंटी ट्वंटी के तहत इस बार के बजट में आधुनिक भारत के निर्माण का सपना झलका दिखाई दे रहा है। दुनिया भर में तकनीक के मामले में अनेक देश बहुत ज्यादा संपन्न हो चुके हैं। तकनीकि विकास की अगर बात की जाए तो आज भी हम दुनिया के अनेक देशों से दो दशक पीछे ही चलते दिख रहे हैं। विज्ञान और तकनीक के द्वारा जिस तेज गति से विकास किया गया है और विदेशों में रहने वाले भारतीय जानकारों की इसमें जिस तरह की भागीदारी है उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर देश में ही तकनीक और विज्ञान को उन्नत बनाया जाए तो भारत की तस्वीर चंद सालों में ही बदली जा सकती है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि दुनिया भर के देशों में तकनीक के विकास के कारण वहां के नागरिकों की जीवन शैली में अमूल चूल परिवर्तन भी आए हैं।


अस्सी के दशक के उपरांत देश में तकनीक का विकास तेजी से हुआ है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके बाद भी देश के विज्ञान और तकनीक की विकास यात्रा को संतोष जनक नहीं माना जा सकता है। इस मामले में अभी भी बहुत कुछ किए जाने की महती जरूरत महसूस हो रही है। देश में मोबाईल नेटवर्क का मामला हो या वाहनों की रफ्तारसड़क निर्माण या रेलगाड़ियों का परिचालनहर मामले में हम पुरानी तकनीकों पर ही निर्भर हैं। पुरानी तकनीक कहना इसलिए उचित होगा क्योंकि नब्बे के दशक में जब भारत के दूरसंचार क्षेत्र में सीडॉट एक्सचेंज आया तब यह दुनिया भर में पुरानी तकनीकों में गिना जाता था।

नरेद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा बजट पेश किया गया है। इस बजट में तकनीक और नए नए तौर तरीकों को इजाद करने पर जोर दिया गया है। वित्त मंत्री ने अगले पांच सालों में क्वांटम एप्लिकेशन पर आठ हजार करोड़ रूपए खर्च करने की बात कही है। क्वांटम एप्लीकेशन के विस्तार के बाद कंप्यूटिंग काफी हद तक आसान होने की उम्मीद है। इसके जरिए मोबाईल में डाटा और अन्य सूचनाओं को बहुत ही कम समय में आसानी से आदान प्रदान किया जा सकता है।

अगर यह हो गया तो निश्चित तौर पर दवाओंशिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में नई नई खोजों और इनके प्रबंधन तथा परिवहन के मामले में भी सुगमता महसूस की जा सकती है। सरकार के द्वारा देश में डाटा सेंटर पार्क विकसित किए जाने की बात कही है। अब पेपरलेस तकनीक को विकसित करने की बात भी सामने आ रही है। पुलिसआंगनवाड़ीविद्यालयोंचिकित्सालयों आदि को भी डिजिटल तकनीक और नेटवर्क के जरिए जोड़े जाने की बात कही जा रही है। देश की ग्राम पंचायतों को भी डिजिटल नेटवर्क से जोड़ने की योजना है। पहले चरण में देश के एक लाख गांवों को हाई स्पीड ब्राडबेंड से जोड़े जाने की बात भी कही गई है।

कहा जाता है कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों का ईमानदारी से डिजिटलाईजेशन कर दिया गया तो देश की तस्वीर बदलने में समय नहीं लगने वाला। ग्रामीण अंचल के युवा जो आज इंटरनेटमोबाईल पर दिन भर यहां वहां की खाक छानते फिरते हैं। गलत साईट्स आदि पर अपनी उर्जा गंवाते हैं उन्हें इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है। इस बजट में किसानों के लिए लागू की गई कुसुम योजना जिसके तहत किसान अपने खेतों में सोलर पेनल लगाकर उससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती किसानी में कर सकते हैं को भी लागू रखने का फैसला किया गया है। वैसे अब तक इस योजना का कितना लाभ किसानों को वास्तव में मिल पाया है इस बारे में भी विचार करने की जरूरत है। अगर इस योजना से शत प्रतिशत किसानों को लाभ मिलने लगा तो निश्चित तौर पर ग्रामीण अंचलों में बार बार बाधित होने वाली बिजली की आपूर्ति से किसान मुक्त हो पाएगा।

सरकार की मंशा को देखकर यही लग रहा है कि आने वाले समय के लिए सरकार के द्वारा सब कुछ तकनीक आधारित करने का प्रयास किया जा रहा है। व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए भी सब कुछ डिजिटल करने का प्रावधान होता दिख रहा है। ऑन लाईन कृषि मण्डी ओर सरकार के द्वारा किसानों की फसल खरीद वाले पोर्टल्स पर 27 हजार करोड़ से ज्यादा राशि का प्रावधान निश्चित तौर पर सकारात्मक दिशा में बढ़ते कदम माने जा सकते हैं। देश में शिक्षा का क्षेत्र सबसे कमजोर माना जाता है। अब शिक्षा के क्षेत्र का भी डिजीटलाईजेशन होता दिख रहा है। सरकार के द्वारा आने वाले समय में ऑन लाईन डिग्री का कार्यक्रम भी आरंभ किया जा सकता है।

चार साल पहले हुई नोटबंदी के बाद माना जा रहा था कि आने वाले समय में कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा मिल सकता है। दुनिया भर के देशों में कैशलेस इकानामी का जादू सर चढ़कर बोल रहा हैपर भारत अभी भी इस मामले में पीछे ही दिख रहा है। सरकार को कैशलेस इकानामी कैसे स्थापित हो पाए इसकी ओर ध्यान देने की जरूरत है।

इस साल आयकर दाताओं के लिए नए स्लेब की घोषणा की गई है। इससे छोटे करदाता तो फायदे में रहेंगेपर ज्यादा कर देने वाले आयकरदाताओं की सांसें फूल सकती हैं। सरकारों के द्वारा लोक लुभावन घोषणाएं तो कर दी जाती हैंपर इन घोषणाओं के बाद होने वाले घाटे की आपूर्ति कहां से होगी! इस बारे में विचार नहीं किया जाता। केंद्र और सूबाई सरकारों को इस बात पर विचार करना होगा कि उनके द्वारा बाजार एवं अन्य जगहों से लिए गए कर्ज से देश के हर आदमी पर कितना कर्ज हो चुका है। सबसे पहले इस कर्ज को चुकाने की व्यवस्था करना होगा ताकि देश का हर नागरिक कर्ज से मुक्त हो सके। सरकार के द्वारा करदाताओं से आयकर में वसूली की जो कमी की गई है उसकी भरपाई कर्ज लेकर करने की बात कही गई है। मतलब साफ है कि इसका बोझ अंत में देश के आम नागरिक पर ही पड़ने वाला है। 

देश में आर्थिक मंदी के हालात दिखाई दे रहे हैं। सरकार का मानना है कि मांग बढ़ने से लोग बाजार से सामन खरीदेंगे और रूपए का चलन बाजार में तेज हो जाएगा। मांग बढ़ने से उत्पादन बढ़ सकता है और इससे जीडीपी सुधर सकती है। विडम्बना ही मानी जाएगी कि लोगों की आय बढ़ाने के लिए किसी तरह का ठोस प्रयास बजट में होता नहीं दिखा। अगर आय नहीं बढ़ेगी तो उपभोक्ता बाजार से सामान कैसे खरीदेगा! अगर सामान नहीं खरीदेगा तो उत्पादन कैसे बढ़ेगा! जाहिर है सरकार सोच रही है कि लोग अपनी बचत में से इसे खरीदेंयह असंभव ही प्रतीत हो रहा है। बजट को देखकर यह भी प्रतीत हो रहा है कि वित्त मंत्री और केंद्र सरकार के द्वारा देश को उपभोक्तावादी संस्कृति वाले राष्ट्र की ओर ले जाया जा रहा है।

देखा जाए तो केंद्र सरकार को अपने बजट में युवाओं के लिए रोजगार के साधन कैसे पैदा किए जाएंकिसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम कैसे मिलेआयकरजीएसटी आदि की वसूली ईमानदारी से कैसे हो पाए आदि बातों पर अपना ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए था। केंद्र सरकार के द्वारा व्हीव्हीआईपी संस्कृति को तो एक झटके में समाप्त कर दिया गया है किन्तु सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार पर लगाम किस तरह लगे इस बारे में अभी भी ठोस कदम नहीं उठाए हैं! (लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


----------------------

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ