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Dr. Srimati Tara Singh
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रचनाकारों के बीच जीवंत संवाद स्थापित होता है कविता से

◾पन्ना पन्ना में पहली बार हुपन्ना में पहली बार हुआ अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेल अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलनमें पहली बार हुआ अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन
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पन्ना (मप्र)। आज हिंदी भाषा न केवल भारत में, बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में साहित्यिक संवाद का एक सशक्त माध्यम बनती जा रही है। ऐसे आयोजनों से हिंदी कविता को अंतरराष्ट्रीय मंच मिलता है और रचनाकारों के बीच एक जीवंत संवाद स्थापित होता है।
     यह विचार विभिन्न वक्ताओं ने हिंदी साहित्य के वैश्विक विस्तार के उद्देश्य से मध्यप्रदेश के पन्ना नगर में आयोजित ऐतिहासिक कवि सम्मेलन में हिंदी कविता के निरंतर फैलते वैश्विक प्रभाव पर चर्चा करते हुए व्यक्त किए। त्रिपुरा विवि के साहित्य संकाय द्वारा न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन (कर्नाटक), अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन, सृजन ऑस्ट्रेलिया तथा मधुराक्षर जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के संयुक्त सहयोग से 4 मई को पन्ना में पहली बार अंतरराष्ट्रीय सफल आयोजन किया गया। इसमें देश-विदेश से अनेक साहित्यकारों ने भौतिक और आभासी माध्यम से भागीदारी निभाई। फाउंडेशन के मप्र के मीडिया समन्यवक अजय जैन 'विकल्प' ने बताया कि अध्यक्षता 'ब्रॉउस' (महू) की पूर्व कुलगुरु प्रो. आशा शुक्ला ने करते हुए उद्घाटन भाषण में हिंदी के वैश्विक प्रसार के लिए ऐसे आयोजनों की महत्ता पर बल दिया। मुख्य अतिथि संकाय अधिष्ठाता प्रो. विनोद कुमार मिश्र  ने हिंदी कविता की समृद्ध परंपरा और समकालीन संभावनाओं पर प्रभावी विचार व्यक्त किए। विशिष्ट अतिथि प्रो. हरीश अरोड़ा (दिल्ली विवि) ने भी हिंदी साहित्य की समकालीन चुनौतियों और अवसरों पर सारगर्भित वक्तव्य दिया।
सम्मेलन की मुख्य विशेषता विश्व के विभिन्न देशों से आमंत्रित साहित्यकारों की भागीदारी रही। मलेशिया से डॉ. रश्मि चौबे, अमेरिका से अरुण नामदेव, मॉरीशस से श्रीमती कल्पना लालजी, डॉ. शशि दूकन, पन्ना से लक्ष्मीनारायण चिरोलया 'चिंतक’, रघुवीर तिवारी, पीयूष मिश्रा के अलावा गुरुग्राम से मनोरंजन तिवारी आदि उल्लेखनीय नाम रहे। इनकी रचनाओं ने स्थानीयता और वैश्विकता के सुंदर समन्वय का उदाहरण प्रस्तुत किया। रचनाकारों ने जीवन, प्रेम, प्रकृति, शांति और वैश्विक मानवीय मूल्यों जैसे विषयों पर भावपूर्ण कविताओं का पाठ किया। 
कार्यक्रम का संयोजन अत्यंत कुशलतापूर्वक सूत्रधार पूनम चतुर्वेदी शुक्ला (संस्थापक- निदेशक, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन) ने किया। सह-संयोजक के रूप में जयदीप सिंह सरस ‘गोंडवी’ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वहीं डॉ. सुरेश श्रीवास्तव ‘सौरभ’ ने प्रभावशाली मंच संचालन से कार्यक्रम में निरंतर बनाए रखी। 
संयोजक श्रीमती शुक्ला ने सभी का हृदय से आभार व्यक्त किया।
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प्रेषक-अजय जैन 'विकल्प'
(मीडिया समन्वयक, मप्र -न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन, कर्नाटक)
9770067300

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