Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator
मिलन समारोह की ढ़ेरों शुभकामनाएं ????
Sanjay Sinha उवाच
30 दिन 30 रात
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बस 30 दिन और 30 रात और। इंतज़ार की घड़ियां तेजी से बीत रही हैं। कई लोगों ने अपने आने की सूचना भेज दी है, कई लोगों ने टिकट डिटेल्स भी भेज दिए हैं। 
#ssfbFamily मिलन का ये दसवां साल है। दस साल से हम मिल रहे हैं। आप में से बहुत से लोगों ने जानना चाहा है कि मिलन समारोह है कहां? मैंने कहा था कि समय पर सब साफ होता जाएगा। आज मैं ये बता रहा हूं कि इस बार मिलन समारोह दिल्ली में ‘बरार स्कावयर’ के पास होने जा रहा है। वहां पुलिस गेस्ट हाऊस में। पूरा पता समय पर दिया जाएगा। अभी आप गूगल पर बरार स्क्वायर ढूंढेंगे तो आपको मिल जाएगा। वो इलाका धौला कुंआ, दिल्ली कैंट के पास है। मेट्रो भी वहां जाती है। 
दिल्ली में जो लोग बरार स्क्वायर के विषय में जानते हैं, वो ये जानते हैं कि वो एक शांत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इलाका है। वहां आपको मोर दिखेंगे, हरियाली दिखेगी, प्रकृति की छटा दिखेगी। 
हम लोग 23  की रात डिनर पर मिलेंगे। जो लोग 23 को वहां पहुंच रहे हैं, उनसे अनुरोध रहेगा कि शाम सात बजे से हमारा मिलन समारोह शुरू हो जाएगा। वैसे तो अभी समय है, और ठीक समय पर बाकी सारी जानकारी भी मुहैया ही करा दी जाएगी। अगले दिन सुबह 10 बजे से हमारा विधिवत मिलन समारोह शुरू होगा। इस बार बहुत से नए परिजन आ रहे हैं, तो ऐसे में अपने जो वरिष्ठ परिजन हैं, उनसे अनुरोध रहेगा कि वो नए लोगों को दिल में स्थान दें, परिवार से जुड़ने में उनकी मदद करें। 
कई बार बता चुका हूं कि ये फेसबुक परिवार मिलन समारोह है और इसका नाम फेसबुक परिवार सिर्फ इसलिए है क्योंकि हम सब कभी न कभी किसी न किसी तरह फेसबुक पर मिले हैं। मैंने रोज लिखना शुरू किया, आपने रोज़ पढ़ना और फिर कमेंट करना। यहीं से मिलन की चाह जागी और बन गया एक शानदार परिवार। दुनिया का सबसे अनूठा और सबसे बड़ा परिवार। 
मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक शुरू ही किया था कम्युनिटी को जोड़ने के लिए। संजय सिन्हा ने मार्क के मकसद को कायम रखा। पर जैसा होता है, बिजनेस हर जगह घुस जाता है तो कुछ लोगों ने इसे बिजनेस मॉडल बना दिया। लेकिन हम अभी तक दिल-विल, प्यार- व्यार में यकीन करने वाले लोग ही हैं। मैं आप लोगों के सीधे संपर्क में आऊंगा कार्यक्रम शुरू होने के एक हफ्ता पहले, जब आप मुझसे फोन पर बात करके भी अपने आने की सूचना दे पाएंगे, लिस्ट में नाम शामिल करा पाएंगे। यहां आने की कोई फीस नहीं है, खाने का कोई शुल्क नहीं है। यहां वो हर व्यक्ति सादर आमंत्रित होता है, जो मेरी वॉल से किसी भी तरह जुड़ा है। 
यहां लोग आते अनजान है, जाते परिजन बन कर और बना कर हैं। ये रिश्तों का संसार है। ये दिलवालों की दुनिया है। बहुत से लोग मुझसे पूछते हैं कि संजय सिन्हा ये सब करके आपको मिलता क्या है? मैं उनसे पूछता हूं कि किसी को कुछ भी करके मिलता क्या है? वो मुझ पर हंसते हैं कि मैं सुबह उठ कर पोस्ट लिखता हूं। लाइक बटन दबाता हूं। मैं उन पर हंसता हूं कि सुबह तैयार होकर वो काम पर निकल जाते हैं, पैसों के फेर में। अपने को जीना है। उन्हें जीने की तैयारी करनी है। मैं जीता हूं। वो तैयारी करते हैं। सोचिए कौन किस पर हंसेगा? 
हंसने में कोई बुराई नहीं। आदमी को हंसना चाहिए। रोना नहीं चाहिए। 
आप लोग प्रसन्न रहें। आने  तैयारी को अंजाम आप दे ही रहे हैं। ठंड के कपड़े साथ रख लीजिएगा। दिल्ली का मौसम दिसंबर में शानदार होता है। हम रिश्तों की गर्मी में डूबे होंगे, सूरज भगवान बादलों की ओट में छिपे होंगे। मैं अभी यात्रा पर हूं, जल्दी ही दिल्ली पहुंच जाऊंगा। 
तो मिलते हैं, 23 की शाम। जो 24 को पहुंच रहे हैं, उनके साथ छैंया, छैंया पर नृत्य करेंगे, सब मिल कर। 
अभी के लिए टाटा।
नोट- जिन्हें शिकायत है कि आज कहानी कहां, उनके लिए एक बोनस है। जरा-सी मेहनत लगेगी पर नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर लिंक दबाएं और एक प्यारी-सी बिटिया के संघर्ष की कहानी सुन लें। कैसे अपने पिता की विरासत को छोड़ कर वो अपने लिए रास्ता तैयार कर रही है। ये है आज की पीढ़ी। उसे मालूम है कि उसे क्या चाहिए और क्यों चाहिए। 
वीडियो देखिए, लाइक कीजिए, कमेंट कीजिए, शेयर कीजिए और सब्सक्राइब भी कीजिए।
संजय सिन्हा की गाड़ी जल्द ही आपके दरवाजे के बाहर आकर हॉर्न बजाने वाली है।


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