Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पर्व पर्यूषण आये

पर्व पर्यूषण आये
हो आये देखो, पर्व पर्यूषण आये ॥

भादों शुभ मास है, व्रत है उपवास है,
आत्मा की शुद्धि का मन से प्रयास है ।
अन्तर को निर्मल बनाये ॥
हो आये देखो, पर्व पर्यूषण आये ॥

भक्ति व्रत साधना, प्रभु की आराधना ।
मन में जागी सबके श्रद्धा की भावना ।
मुक्ति का मार्ग दिखाये ॥
हो आये देखो, पर्व पर्यूषण आये ॥

सत्य शुचि ब्रह्मचर्य, संयम अकिंचन ।
मार्दव तप अपरिग्रह त्याग क्षमा साधन ।
दश लक्षण मन से अपनाये ॥
हो आये देखो, पर्व पर्यूषण आये ॥

धूप दशमी का, दिन आया पावन ।
मंदिर मंदिर में, जिन प्रभु के दर्शन ।
क्षमावाणी अहम को मिटाये ॥
हो आये देखो, पर्व पर्यूषण आये ॥
 - डाॅ. राम वल्लभ आचार्य(पूर्व निर्धारित धुन पर रचित नृत्य गीत, ताल- खेमटा
 

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