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लिमटी की लालटेन 121

और कितनी निर्भयाओं के बाद थमेगा यह सिलसिला!

आखिर किस मजबूरी के तहत रात में किया गया अंतिम संस्कार!

(लिमटी खरे)

16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भया प्रकरण ने 26 अगस्त 1978 को हुए संजयगीता चौपड़ा हत्याकाण्ड की यादें ताजा कर दीं थीं। 2012 में देश भर से आवाजें उठींनिर्भया काण्ड के दोषियों को पकड़ा गया। उस वक्त लगा था कि आने वाले समय में कानून न केवल इतना कठोर बनेगावरन इसका प्रचार प्रसार इतना ज्यादा होगा कि 2012 के बाद निर्भया प्रकरण नहीं दोहराए जाएंगे। इसके बाद भी एक के बाद एक इस तरह के घिनौने काण्ड सामने आते रहे।

हाल ही में भीषणतम यातनाओं और गैंगरेप का शिकार हुई उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की एक 19 साल की कमसिन दलित बाला 15 दिन तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रही। बाद में वह इस जंग को हार गई। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में ईश्वर का रूप माने जाने वाले चिकित्सक भी उसे नहीं बचा सके। आप समझ सकते होंगे कि उस मजबूर युवती को किस तरह की यातनाएं दी गई होंगी!

हाथरस की निर्भया के साथ हुए अमानवीय व्यवहार ने देश की संवेदना को बुरी तरह झझकोर कर रख दिया है। भले ही नेशनल मीडिया इस मामले में चुप्पी साधे हो परगैंगरेप जैसे जघन्य अपराध से निपटने सूबाई प्रशासनिक तंत्र और पुलिस की लचर व्यवस्था को लोग सोशल मीडिया पर आईना दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस मामले में दोषियों को कड़ी सजा देने के निर्देश उत्तर प्रदेश के निजाम को दिए हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एसआईटी का गठन कर दिया है। कोई भी व्यक्ति इस तरह की जांच पड़ताल से इंकार नहीं करेगापर जिस तरह से दोषियों को बचाए जाने की मुहिम चलने की बात सोशल मीडिया पर उजागर हो रही हैवह चिंता का कारण बन रही है।

निर्भया मामले में जब कानूनों में बदलाव किया गया थातब सारे पहलुओं पर विचार जरूर किया गया होगा। हाथरस जैसे मामलों से यह साफ हो जाता है कि इस तरह के कानून बनाने भर से कुछ नहीं होने वालाजब तक इसकी जांच को समय सीमा अर्थात टाईम फ्रेम में नहीं बांधा जाता। बलात्कार जैसे जघन्य मामलों में तत्काल फांसी देने की बात सोशल मीडिया के अनेक मंच पर उठ रहीं हैंजाहिर है लोगों के मन में सिस्टम के प्रति कितना आक्रोश है इसे समझा जा सकता है। इस बात को हुक्मरानों को समझने की जरूरत है।

आज जरूरत इस बात की है कि अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानूनों के साथ ही साथ उस समय के हिसाब से बनाई गई सरकारी व्यवस्थाओं में आज के समय के हिसाब से परिवर्तन करने की। आज सिस्टम को पारदर्शी बनाए जाने की महती जरूरत महसूस हो रही है। इसी बीच यह बात भी सोशल मीडिया पर उभरकर सामने आ रही है कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट यह भी बता रही है कि मृतिका के साथ जबर्दस्ती हुई ही नहीं। यक्ष प्रश्न तो यह है कि आखिर आनन फानन रात को दो बजे उसका अंतिम संस्कार करने की नौबत क्यों आ गई! जिलों में तैनात सरकारी मुलाजिम इस तरह का निर्णय कैसे ले सकते हैं! जाहिर है इशारे या निर्देश ऊपर से ही आए होंगे। यह भी कहा जा रहा है कि शव के क्षरण या विघटन के कारण उसका अंतिम संस्कार जल्दी करना पड़ातो आपको बता दें कि पूरी तरह गल चुके शव को भी देश में अनेक स्थानों में शव परीक्षण के बाद सुरक्षित रखा जाता है ताकि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आने के बाद अगर कोई पहलू छूट जाए तो फिर से शव परीक्षण कराया जा सके। अब जबकि हाथरस की निर्भया की राख ही बाकी बची है तब सारे साक्ष्य भी मिट ही चुके होंगे। अमूमन इस तरह के मामलों के पूरी वीडियोग्राफी करवाई जाती हैउत्तर प्रदेश शासन को चाहिए कि अगर वीडियोग्राफी की गई है तो उसे सार्वजनिक किया जाएऔर अगर नहीं कराई गईतो क्याों! इसका जवाब भी दिया जाए।

इस मामले में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी को एक्सप्रेस हाईवे पर ही रोक दिया गया। संसद में छः दर्जन से ज्यादा महिला सांसद जिनकी तादाद 78 है मिलकर भी हाथरस की निर्भया के लिए आवाज बुलंद नहीं कर पा रहीं हैं। वालीवुड की वे आवाजें जो गाहे बेगाहे इस तरह के मामलों में चीत्कार करती दिखतीं थींवे भी अभी तक खामोश हैं। आने वाले समय में बिहार में चुनाव हैंसियासी दल इसका फायदा उठाने की कोशिश करें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। राहुल गांधी अगर चाहें तो दिल्ली में ही संसद के सामने धरने पर उस समय तक बैठें जब तक हाथरस की निर्भया को पूरा न्याय नहीं मिल जाएपर वे भी भला ऐसा क्यों करने लगे! कुल मिलाकर कुछ ही दिनों में कोई नई बात या नया मामला फिजा में तैरेगा और हाथरस की निर्भया का मामला अखबारों के अंदर वाले पेज पर जाकर दम तोड़ देगा . . .!

आप अपने घरों में रहेंघरों से बाहर न निकलेंघर से निकलते समय मास्क का उपयोग जरूर करेंसोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखेंशासनप्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करें। अगर आपको लिमटी की लालटेन पसंद आ रही हो तो आप इसे लाईकशेयर व सब्सक्राईब अवश्य करें। हम लिमटी की लालटेन का 119वां एपीसोड लेकर जल्द हाजिर होंगेतब तक के लिए इजाजत दीजिए . . .

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


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