Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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Divya Mathur is with Padmesh Gupta and
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भारी मन से आपको सूचित करना पड़ रहा है कि हमारे प्रिय प्रोफेसर श्याम मनोहर पांडे, हिंदी भाषा और साहित्य के भूतपूर्व प्राध्यापक (ओरियंटल विश्विद्यालय, नेपल्स-इटली), का आज सुबह सेंट जॉर्ज अस्पताल में निधन हो गया। कोविड से पूर्व हम कई बार ब्रिटिश लाइब्रेरी में मिल लिया करते थे; दुःख की बात यह है कि उनके जिगरी दोस्त डॉ ज़िया शकेब भी कुछ वर्ष पूर्व चल बसे थे। इन दो आदरणीय विद्वान मित्रों की छात्र छाया में मैंने बहुत कुछ सीखा। पांडे जी कोमल-ह्रदय सज्जन थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और कृष्णा जी और उनके परिवार को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें। 
याद या रहा है वो एक यादगार समां, जब लंदन यूनिवर्सिटी में हम पांडे जी द्वारा संपादित मुल्ला दाऊद के प्रेमाख्यान चन्दायन के लोकार्पण पर मिले थे। उनके इस अभिनव प्रयास को शिक्षाविदों द्वारा एक महत्वपूर्ण संस्करण एवं हिंदी विद्वत्ता में एक मील का पत्थर है माना गया है।  चंदायन की भाषा में अवधी, भोजपुरी, ब्रज तथा खड़ीबोली का अद्भुत मिश्रण हुआ है –
जेहि हिय चोट लागि सो जानी / कइ लोरिक कइ चंदा रानी
सुखी न जान दुख काहू केरा / जानइ सोइ परइ जेहि बेरा
मुख्य अतिथि थे, ब्रिटेन के सांसद विरेन्द्र शर्मा, अध्यक्षता का भार संभाला था कैलाश बुधवार जी ने और संचालक थे डॉ निखिल कौशिक, 
सोएज़ में हिंदी एवं दक्षिण एशियाई साहित्य की प्रोफ़ेसर प्रमुख, प्रो. फ़्रेंचेस्का ऑर्सिनी ने श्रोताओं के स्वागत के पश्चात चन्दायन के चित्रों एवं लिपि पर व्याख्यान देते हुए श्रोताओं का चंदायन से परिचय करवाया। 
लंदन विश्विद्यालय से कथा-प्रथाओं में डॉक्टरेट, विशिष्ट कथाकार एवं उपन्यासकार  डॉ वायु नायडु ने चंदायन के 'बाराहमासा' का अंशपाठ किया। हिंदी के सह-प्राध्यापक, एवं फ़ेलो ऑफ़ वोल्फ्सन कॉलेज, फ़ैकल्टी ऑफ़ ओरिएन्टल स्टडीज़-ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, डॉ इमरै बंघॉ ने विस्तार से समझाया कि चौदहवीं शताब्दी में मुल्ला दाऊद  द्वारा रचित सूफी काव्य परंपरा के प्रथम प्रेमाख्यान ‘चन्दायन’ में लोरिक और चंदा की प्रेमकथा को मसनवी शैली में प्रस्तुत किया गया है।

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