Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नालियों में गंदगी, पहली ही झड़ी में कहीं डूब न जाये आधा शहर!

(लिमटी खरे)

पिछले कुछ सालों से बारिश के मौसम में थोड़ा ज्यादा पानी क्या गिरता है लोगों की रूह कांप उठती थी। स्थान-स्थान पर नालियों में भरे कचरे के चलते वे नालियां ओवर फ्लो हो जाया करती थीं। इसके अलावा सड़कों की इंजीनियरिंग कुछ इस तरह से रखी गयी है कि सड़कें जल मग्न हो जाया करती हैं।

शहर के लोगों का कहना है कि नगर पालिका के अफसरान ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभायी, जिसके कारण कई नाले और नालियों की सफाई ठीक से नहीं हो पायी है। गंदगी के कारण नाले भरे हुए हैं और पहली बारिश की झड़ी में जब कचरे का उफान नालों में पहुँचेगा तो निश्चित ही निचले क्षेत्रों की बस्तियों में बाढ़ के नजारे होंगे। पानी से लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है, रतजगा होता है और गंदगी घरों के अंदर तक तैरती है। हाल ही में हुई महज 04 इंच बारिश से ही जिस तरह गंदगी सड़कों पर आयी, उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बारिश को लेकर पालिका की तैयारियां किस स्तर की हैं।

शहर में जिस तरह से कांक्रीट सड़कों का जाल बिछाया गया है, उसके बाजू में सकरी नालियां बनायी गयी हैं उससे जानकारों का कहना है कि इन नालियों से बारिश का पानी ओवर फ्लो होना तय ही है। शहर के पुराने नाले तो मानो अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं।

एक समय था जब नगर पालिका के द्वारा गर्मी के मौसम की बिदाई की तैयारियों के साथ ही शहर के नाले नालियों की सफाई करवा दी जाती थी। इस साल शहर के नाले नालियों की सफाई का कोई सिस्टम अब तक तय नहीं हो पाया है। लोगों को डर है कि कहीं बारिश में इन नालों में फंसी गंदगी के कारण एक बार फिर पानी निचली बस्तियों में कहर न बरपा दे।

2019 के बाद पालिका में चुनी हुई परिषद नहीं है। प्रशासक के बतौर जिलाधिकारी पदस्थ हैं। इसके बाद भी जनप्रतिनिधियों का मौन समझ से परे ही है। लोगों का कहना है कि इसका कारण यह है कि पालिका के अधिकारी अपनी ढपली अपना राग की तर्ज पर पलिका के जिम्मेदार लोगों को तो समझा बुझाकर संतुष्ट कर देते हैं (कारण चाहे जो भी हों) पर जब वार्ड में पानी भरता है तब स्थानीय लोगोें के कोप का भाजन स्थानीय जनप्रतिनिधि ही बनते हैं।

शहर के अनेक क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ आज भी पालिका के द्वारा साफ सफाई नहीं की गयी है। मसलन एलआईसी के थोड़ा सा आगे हॉण्डा एजेंसी के पीछे वाले नाले पर अतिक्रमण कर इसे संकरा कर दिया गया है। इसके फलस्वरूप इस नाले का पानी वापस जाकर एकता कॉलोनी में कहर बरपाता है। कुछ साल पहले फायर ब्रिगेड की सहायता से बारिश में यहाँ का पानी निकालना पड़ा था। इसके अलावा बुधवारी बाजार हर साल तालाब में तब्दील हो जाता है। पालिका के तकनीकि विभाग के कर्मचारी पता नहीं किस इंजीनियरिंग का उपयोग करते हैं कि आम जनता हलाकान हुए बिना नहीं है।

नगर पालिका की कथित उदासीनता के चलते शहर के नाले नालियों की तलहटी में जमा कचरा नहीं निकाला जा पा रहा है। बारिश के साथ ही यह कचरा सड़ेगा और फिर महामारियों की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। लोगों को आशंका है कि बारिश की पहली ही झड़ी में कहीं अनेक क्षेत्रों में जल प्लावन की स्थिति न बन जाये।

बाहुबली चौराहे के आसपास, पॉलीटेक्निक कॉलेज की बाऊंड्री वाल के समीप, बस स्टैण्ड, कटंगी नाका, विवेकानंद वार्ड, मठ मंदिर, हड्डी गोदाम, ललमटिया, गंज, सब्जी मण्डी, नेहरू रोड, मॉडल रोड, ज्यारत नाका आदि अनेक स्थानों पर जरा सी बारिश के बाद ही जल प्लावन की स्थिति सालों से बनती आ रही है।

प्यास लगने पर कुंआ खोदने की कहावत को नगर पालिका परिषद के द्वारा चरितार्थ किया जाता है। बारिश जब होगी, निचली बस्तियों में पानी भरेगा, चीख पुकार मचेगी तब जाकर कहीं नगर पालिका की कुंभकर्णीय निद्रा टूटेगी। उसके बाद भरी बारिश में नाले नालियों की सफाई के काम को अंजाम दिया जाना आरंभ किया जायेगा।

सालों से शहर में जल मल निकासी योजना (सीवरेज लाईन सिस्टम) की माँग की जा रही है। इसके न होने से घरों से निकलने वाली सारी गंदगी नालियों के माध्यम से ही बह रही है। शहर में दलसागर, बुधवारी, मठ और रेल्वे स्टेशन के तालाबों में यह गंदगी जाकर वहाँ के पानी को प्रदूषित कर रही है। यही कारण है कि इन तालाबों का पानी पीने को तो छोड़िये अन्य उपयोग के लिये भी नहीं रह गया है।

पिछले साल भी बारिश के मौसम में शहर के अनेक हिस्सों में पानी भर गया था। पानी गिरते ही संपन्न लोग तो अपना बचाव कर लेते हैं पर निचली बस्तियों में रहने वाले गरीब गुरबों पर संकट आन खड़ा होता है। पिछले साल ही कई बार रात को पानी गिरने के दौरान जल प्लावन की स्थिति बनी और गरीबों ने सारी रात आँखों ही आँखों में काटी थी।

ऐसा नहीं है कि नगर पालिका इससे निपटने में सक्षम नहीं है। पता नहीं क्यों नगर पालिका के द्वारा हर साल जिस समस्या से दो चार हुआ जाता है उससे निपटने स्थायी कार्ययोजना क्यों तैयार नहीं की जाती है। जब पालिका के पास वे मोहल्ले और क्षेत्र चिन्हित हैं जहाँ हर साल समस्या आती है तो इसका स्थायी समाधान पालिका खोजने से कतराती क्यों है?

संवेदनशील जिला कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग से जनापेक्षा है कि बारिश आने में अभी लगभग एक पखवाड़ा बाकी है। बारिश के आने के पूर्व ही नगर पालिका को शहर में बारिश का पानी न भरे इसके लिये समय सीमा में कार्य योजना बनाकर उसे अमली जामा पहनाये जाने के निर्देश दिये जायें ताकि गरीब गुरूबे इस बार बारिश में सुरक्षित रह सकें। इसके साथ ही साथ इन दिशा निदेर्शों की समय-समय पर मॉनीटरिंग की भी आवश्यकता होगी।


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