Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खिलखिलाती वेदनाएँ
कल रात कानपुर के बहुचर्चित विक्रमाजीत सनातन धर्म महाविद्यालय की शताब्दी पर आयोजित कवि सम्मेलन में भाग लेकर आज सबेरे चार बजे जब लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर पहुंचा तो मालूम हुआ कि कुंभ एक्सप्रेस तीन घंटे लेट है।उस समय किसी के यहां जाना या किसी को स्टेशन बुलाना ठीक नहीं लगा। इसलिए, उच्च श्रेणी के प्रतीक्षालय में एसी का आनंद लेते हुए लेट गया। करीब सात बजे मोबाइल घनघनाया।उधर से रेनू की आवाज थी-आप कहाँ हैं? मैने सच उगल दिया।एक घंटे बाद वह अपने जीवनसाथी विनोद जी के साथ प्रतीक्षालय में आ धमकी। ट्रेन लेट होती गयी और वैसे ही हमारी बतकही। आखिर ट्रेन में मुझे बैठाकर ही वे दोनो माने।
उनके जाने के बाद मेरे हाथ में रह गयी रेनू (द्विवेदी ) का गीत संग्रह 'खिलखिलाती वेदना '।इससे पहले उसकी दो और पुस्तकें छपी हैं -'भावना के पृष्ठ पर' और 'पानी में भी प्यास'। 2019 में छपे पहले गीत संग्रह के लोकार्पण के अवसर पर संयोगवश मैं भी उपस्थित था।उसे उप्र सरकार का बच्चन युवा गीतकार पुरस्कार भी मिला है। प्रांजल प्रकाशन, लखनऊ से छपे इस तीसरे संग्रह में 144 पृष्ठों में कुल 62 नये गीत संकलित हैं। मुझे खुशी है कि हमारे समय के बुद्धिजीवी कवियों ने कविता से छंद को छुड़ाने की भूल का जो परिणाम झेला,उससे सबक लेकर नयी पीढ़ी ने छंद को पुनः पकड़ने का संकल्प लिया और गीत,गजल,मुक्तक और सवैया -घनाक्षरी की पूछ फिर से शुरू हुई। बिना छंद की कविता यानी बिना पंख की चिड़िया। आकाश में उछाल तो दोगे,लेकिन उड़ाओगे कैसे? रेनू के ये गीत छंद की रवानी के मिसाल हैं। दो पंक्तियां देखें -
प्रणय पंथ पर बिना रुके ही
हर पल आगे बढ़ना तुम।
जिस दिन होगी वर्षा जमकर
मेरी चिट्ठी पढ़ना तुम।
पिछले दो साल पूरी दुनिया कोरोना राक्षसी की गिरफ्त में बीते। सभी कवियों ने उस दुर्दिन की यातना को शब्द दिये हैं।रेनू भी कहां पीछे रहनेवाली थी!
नहीं पता है यहां किसी को
किसका नंबर अगला है
मृत्युलोक यमराज पधारे
विश्व समूचा दहला है।
शीर्षक -गीत 'खिलखिलाती वेदना ' का मुखड़ा है-
अनगिनत उर दीप जलते
खिलखिलाती वेदनाएँ
याद की सोंधी महक से
जाग उठती भावनाएं।
इस तरह के तमाम गीत हैं, जिनकी पंक्तियां आकर्षित करती हैं, मोहित करती हैं और गुनगुनाने के लिए बाध्य करती हैं। मैं रेनू को हृदय से आशीर्वाद देता हूं और कामना करता हूं कि वह निरंतर प्रगति करती रहे।
बुद्धिनाथ मिश्र 

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— with Buddhinath Mishra.

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