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लक्ष्मी पाण्डेय ने सिवनी का नाम किया रोशन

डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक लक्ष्मी पाण्डेय साहित्य सरस्वती सम्मान से विभूषित

(ब्यूरो कार्यालय)

सागर (साई)। सिवनी जिले के छोटे से गांव की माटी से निकलकर साहित्य जगत में मुकाम बनाने वाली सागर विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक लक्ष्मी पाण्डेय ने एक बार फिर सिवनी जिले का नाम रोशन किया है।

सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय ट्रस्ट द्वारा मंगलवार को संस्था के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में साहित्यकार डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय को साहित्य सरस्वती सम्मान से विभूषित किया गया। सम्मान में एक लाख रूपये, शाल श्रीफल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

समारोह के मुख्य अतिथि सागर के विधायक शैलेन्द्र जैन और विशिष्ठ अतिथि पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने की। समारोह की शुरूआत मंे अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया इसके बाद सरस्वती वंदना की गयी।

संस्था के सचिव शुकदेव प्रसाद तिवारी ने वाचनालय के इतिहास के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। संस्था के अध्यक्ष के.के. सिलाकारी ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। साहित्कार शरद सिंह ने डॉ.लक्ष्मी पाण्डेय के जीवन परिचय पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी।

ज्ञातव्य है कि प्रसिद्ध साहित्यकार लक्ष्मी पाण्डेय की आरंभिक शिक्षा सिवनी जिले के बरघाट विकाखण्ड के छोटे से ग्राम धारना और हायर सेकण्ड्री तक की शिक्षा बरघाट में हुई। इसके उपरांत उन्होंने अपने महाविद्यालयीन शिक्षा सिवनी के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से हुई, जहां से उन्होंने बायलॉजी विषय के साथ बीएससी की।

डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय के द्वारा इसके बाद सागर विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय में एमए की उपाधि हासिल की। वर्ष 1992 में डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय ने ग्रामीण जीवन पर आधारित उपन्यास विषय में पीएचडी पंजीकृत कराई। उनकी पीएचडी उन्हें 1996 में अवार्ड हुई। इसी बीच वे सागर विश्वविद्यालय में गेस्ट फेकल्टी के रूप में सहायक प्राध्यापक पदस्थ हो गईं।

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान लक्ष्मी पाण्डेय ने बताया कि उनके द्वारा तीन दशकों में चालीस पुस्तकें लिखी हैं। इनमें से तीन उपन्यास हैं। उन्होंने बताया कि उनकी 13 किताबें विभिन्न विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा बनी हुई हैं। डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय की किताबें दिल्ली विश्वविद्यालय, सावित्री बाई फुले विश्वविद्यालय पुणे, रोहतक विश्वविद्यालय हरियाणा, देवीलाल चौधरी यूनिवर्सिटी हरियाणा, जामिया मिलिया इस्लामिया अलीगढ़ आदि विश्वविद्यालयों में कोर्स का हिस्सा बनी हुई हैं।

सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय ट्रस्ट द्वारा मंगलवार को संस्था के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में साहित्यकार डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय को साहित्य सरस्वती सम्मान प्रदाय किए जाने के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शैलेन्द्र जैन ने अपने संबोधन मंे सरस्वती वाचनालय ट्रस्ट के सदस्यों को बधाई दी जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में एक बडे़ सम्मान समारोह की शुरूआत की उन्होंने उपस्थित जन समूह से आह्वान किया की वे सागर में साहित्य जगत की गतिविधियों का बढ़ावा देने के लिए हर संभव सहयोग करें।

पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव ने अपने संबोधन में कहा कि वे लम्बे समय से इस वाचनालय में समाचार पत्रों के एक पाठक के रूप में जुड़े रहे हैं, इस संस्था ने ईमानदारी पूर्वक कार्य करते हुए शहर के लोगों को अपना ज्ञान बढ़ाने में सहयोग किया है। उन्होंने स्वर्गीय राधेलाल माहेश्वरी का स्मरण करते हुए कहां कि उन्होंने इस संस्था को मजबूती से खड़ा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजवादी चिन्तक रघुठाकुर ने कहां कि समाज में पुस्तकालयों का महत्व बढ़ाया जाना चाहिए पुस्तकालय का ज्ञान प्रमाणिक है जो इतिहास की मजबूती पर आधारित है। वर्तममान दौर में मोबाइल पर आधारित ज्ञान प्रमाणिक नहीं है। देश को मजबूत बनाने के लिए भारतीय संस्कृति को मजबूत बनाना जरूरी है। वर्तमान शिक्षण व्यवस्था में समानता नहीं है।

इस अवसर पर डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय ने कहा कि व्यवस्था में बदलाब कर शिक्षा में समता लायी जाए तो सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्बा भी मजबूत होगी। साहित्य सरस्वती सम्मान से सम्मानित डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय ने समाज में स्त्रियों को समानता का दर्जा दिलाने पर जोर दिया उन्होंने कहा कि महिलाओं को अभी भी पुरूषों की तुलना में कमजोर समझा जाता है।

उन्होंने वाचनालय ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किये जाने पर उन्होंने ट्रस्ट का आभार व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि 30 वर्ष पहले वे सिवनी जिले के छोटे से ग्राम धारना से निकलकर सागर आयीं थी, सागर के लोगों ने उन्हें इतना स्नेह दिया कि उन्होंने स्वयं को कभी अकेला महसूस नहीं किया। 30 वर्षाे में 40 पुस्तकों की रचना, जिसमें से 03 उपन्यास हैं। उन्होंने की जिससे उन्हें राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। कार्यक्रम का संचालन संस्था के सचिव शुकदेव प्रसाद तिवारी ने किया और आभार प्रदर्शन संस्था के अध्यक्ष के.के. सिलाकारी ने माना।

समारोह में प्रमुख रूप से शरद सिंह, चंचला दवे, कविता शुक्ला, उमाकांत मिश्रा, गजाघर सागर, अशोक तिवारी, विनोद तिवारी, ऋशभ समैया, आर.के. तिवारी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि साहित्य सरस्वती पत्रिका के आठ वर्ष पूर्ण हो चुके है इस दौरान 32 अंक निकाले गये। इस पत्रिका के प्रकाशन की निरंतरता बनी हुई है। कोरोना काल में भी पत्रिका का कोई भी अंक अप्रकाशित नहीं रहा।

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