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मण्डला व बालाघाट संसदीय क्षेत्र है रेल्वे की अंतिम पायदान पर!

जबलपुर नैनपुर, मण्डला, केवलारी भोमा के लिए रेलगाड़ियों की राह ताक रहे यात्री!

(सुमित खरे)

जबलपुर (साई)। मंथर गति से अमान परिवर्तन, कोविड के बाद आरंभ हुई रेलगाड़ियों में पिछड़ना, पारदर्शिता के बिना काम करना, जैसी विसंगतियां मण्डला और बालाघाट संसदीय क्षेत्र में साफ दिखाई दे रही हैं।

प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से नैनपुर होकर गोंदिया और नैनपुर से मण्डला एवं नैनपुर से केवलारी होकर भोमा के बीच रेलखण्ड पूरा हो जाने के बाद भी जबलपुर से नैनपुर के बीच चलने वाली तीन रेलगाड़ियों के बजाए सिर्फ एक ही रेल का संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा नैनपुर से मण्डला और नैनपुर से केवलारी होकर भोमा के बीच एक भी रेलगाड़ी का संचालन नहीं किया जा रहा है।

जबलपुर से नैनपुर के बीच जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज पर तीन पैसेंजर रेलगाड़ी आना जाना करती थीं, अब यहां सिर्फ एक ही रेलगाड़ी का संचालन किया जा रहा है। इसे भी स्पेशल बनाकर दौड़ाने से यात्रियों का यात्रा खर्च दोगुना हो गया है। स्पेशल के अतिरिक्त किराए से ट्रेन में यात्रा करने वाली आदिवासी अंचल के यात्रियों की जेब पर इसका सीधा असर दिखाई दे रहा है।

अन्य जगहों पर सवारी गाड़ी अर्थात पैसेंजर ट्रेन के बदले चलाई जा रही मेमू ट्रेनें साधारण किराए पर दौड़ रही हैं। कई साल की लेटलतीफी के बाद तैयार जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज परियोजना में ट्रेनें अभी फर्राटा भर नहीं सकी हैं। इस मार्ग पर आम यात्रियों के लिए शहर से नैनपुर के बीच काफी इंतजार के बाद कोविड में बंद पैसेंजर ट्रेन का इस माह शुरू किया गया है। लेकिन, पहले के मुकाबले पैसेंजर ट्रेन के फेरे घटा दिए गए हैं।

इसके अलावा इस पैसेंजर ट्रेन को स्पेशल बनाकर चलाने जाने से यात्रियों को दोगुने रुपए खर्च करना पड़ रहा है। कोविड से पहले इस मार्ग पर दौड़ रही पैसेंजर रेलगाड़ियों में यात्रियों को जबलपुर-नैनपुर के सफर पर 30 रुपए का टिकट लेना पड़ता था। स्पेशल दर्जे के कारण इसी पैसेंजर ट्रेन में अब जबलपुर से नैनपुर का किराया 60 रुपए लग रहा है। रेल प्रशासन के अनुसार रेलवे बोर्ड को पैसेंजर ट्रेन का दर्जा सामान्य करने का प्रस्ताव भेजा चुका है।

रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों की जगह मेमू के रैक चलाना शुरू किया है। जबलपुर-नैनपुर के क्षेत्राधिकार में आने वाले दक्षिण पूर्व मध्य रेल और पैसेंजर ट्रेन संचालित करने वाले पश्चिम मध्य रेल में मेमू ट्रेनों को स्पेशल का दर्जा नहीं है। ये ट्रेनें सामान्य किराए पर चल रही हैं।

मेमू का रैक बना शोभा की सुपारी

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि जबलपुर से नैनपुर होकर मण्डला और बालाघाट के बीच मेमू रेलगाड़ी चलाए जाने की बात सामने आई थी। इसके लिए कुछ माह पहले रैक भी आकर खड़े हो गए थे। ये रैक शोभा की सुपारी के मानिंद ही प्रतीत हो रहे हैं।

जबलपुर-नैनपुर में पैसेंजर ट्रेन से शून्य हटाकर राहत देने की मांग की जा रही है। कोविड से पहले जबलपुर से नैनपुर होकर चिरईडोंगरी के बीच पैसेंजर ट्रेन तीन फेरा लगाती थी। कोविड के बाद ट्रेन रिस्टोर की गई तो पैसेंजर ट्रेन का एक फेरा बचा। ट्रेन को जबलपुर से नैनपुर और नैनपुर से चिरईडोंगरी के बीच अलग-अलग नम्बर देकर इसे दो पैसेंजर ट्रेन बना दिया गया।

जबलपुर से नैनपुर पहुंचने के बाद पैसेंजर ट्रेन के रैक को सुबह चार से पांच बजे के बीच नैनपुर-चिरईडोंगरी के बीच संचालित जा रहा है। सुबह दौड़ रही ये ट्रेन लगभग खाली रहती है। चिरईडोंगरी से आगे मंडला तक ब्रॉडगेज बनने के बाद रैक को मंडला फोर्ट तक नहीं भेजे जाने से आदिवासी जिले को रेल सुविधा का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। यात्री नहीं मिलने से रेलवे को भी नुकसान हो रहा है।


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