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अगर चिकित्सक नहीं हैं तो आईसीसीयू का क्या मतलब!

छः बिस्तर का आईसीसीयू संभल नहीं पा रहा, 26 बिस्तर का नया बनाने की कवायद! पानी की तरह पैसा बह रहा जिला अस्पताल में!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। प्रियदर्शनी के नाम से सुशोभित इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में आपरेशन कायाकल्प के उपरांत लगातार ही भवन को तो चकाचक करने का काम मुस्तैदी से जारी है किन्तु मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं दिन ब दिन निचले स्तर की ओर जाती प्रतीत हो रही हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को आयुर्वेद के उत्पादों का विक्रय करने वाले कैलाश पोतदार को दोपहर में भोजन के उपरांत उल्टियां हुईं। उनके परिजन उन्हें लेकर इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय पहुंचे। इमरजेंसी में चिकित्सक के द्वारा उनका परीक्षण करने के उपरांत उन्हें गहन चिकित्सा इकाई में दाखिल करवाने की सलाह दी।

बताया जाता है कि आईसीसीयू में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। मौके पर मौजूद पैरामेडिकल स्टॉफ के द्वारा बहुत ही सावधानी के साथ मरीज का इलाज करने का प्रयास किया गया। इसी बीच मरीज की हालत बिगड़ती देख एवं कैलाश पोतदार के शरीर में हलचल नहीं दिखने पर मरीज के परिजनों के साथ आए एक निजि चिकित्सक के द्वारा मरीज का सीपीआर किया गया, जिससे मरीज के शरीर में कुछ देर के लिए हलचल आरंभ हुई।

बताया जाता है कि इसके बाद कैलाश पोतदार के शरीर में हलचल नहीं हुई। इसी बीच शोर शराबा होने पर पैरामेडिकल स्टॉफ के द्वारा ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक को बुलाया गया। चिकित्सक के आने के बाद उनके द्वारा मरीज को देखा गया और मरीज का ईसीजी दोबारा किया जाकर कैलाश पोतदार को मृत घोषित कर दिया गया।

आईसीसीयू का मतलब क्या!

मौके पर मौजूद कैलाश पोतदार के परिजनों के साथ आए लोगों के द्वारा इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए अपना आक्रोश जाहिर करते हुए कहा गया कि अगर आईसीसीयू में चौबीसों घंटे चिकित्सक की तैनाती नहीं की जा सकती तो आईसीसीयू का मतलब क्या है! कुछ लोगों का कहना तो यहां तक था कि इससे बेहतर है कि आईसीसीयू को बंद कर दिया जाए।

06 का संभल नहीं रहा 26 का नया हो रहा तैयार!

मौके पर मौजूद लोगों ने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय में निर्माण के नाम पर जमकर खेल खेला जा रहा है। लोगों की मानें तो अभी 06 बिस्तर का आईसीसीयू संभाला नहीं जा पा रहा है और अस्पताल प्रशासन के द्वारा भूतल पर 26 बिस्तरों का नया आईसीसीयू बनाया जा रहा है। जिसमें चकाचक टाईल्स के साथ ही निर्माण में लाखों रूपए फूंके जा रहे हैं।

हेल्थ एस्टबलिशमेंट में नहीं है सिवनी का आईसीसीयू!

वहीं, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि भले ही तत्कालीन जिलाधिकारी मोहम्मद सुलेमान (वर्तमान में अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य) के कार्यकाल में सिवनी के जिला चिकित्सालय में आईसीसीयू बनाया गया हो पर आज तक इस आईसीसीयू को स्वास्थ्य संचालनालय की स्थापना में वैधता नहीं मिल पाई है। यही कारण है कि जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सकों में से ही कुछ चिकित्सकों एवं पेरामेडिकल स्टॉफ से ही आईसीसीयू का संचालन किया जा रहा है। नए आईसीसीयू में चिकित्सक और पेरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती कहां से की जाएगी यह बात तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अथवा सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक ही बता सकते हैं।

निर्माण और सिर्फ निर्माण!

सीएमएचओ कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला अस्पताल में पिछले दो सालों से निर्माण और सिर्फ निर्माण का खेल खेला जा रहा है। जिला चिकित्सालय में चिकित्सक कितनी देर अस्पताल में बैठते हैं! रेडियोलाजिस्ट चिकित्सक के द्वारा कितने एक्सरे अथवा अन्य जांचों की रिपोर्ट बनाई गई! कितनी जांच अस्पताल में हो रही हैं! कितने ड्रेसर, कंपाऊॅडर, नर्सेस आदि अस्पताल में काम कर रहे हैं इस बात की जानकारी उच्चाधिकारियों को देने के बजाए यस सर, यस सर, हो जाएगा सर, कर लेंगे सर जैसे वाक्यों का उपयोग जिम्मेदारों के द्वारा किया जा रहा है, जिसके कारण ही अस्पताल इस तरह की दुरावस्था की ओर अग्रसर दिख रहा है।


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