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21 साल से धूल खा रही दस लाख की मशीन!

आईसीसीयू में शोभा की सुपारी बनी रखी है ईको मशीन!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जिला चिकित्सालय में लगभग दस लाख रुपए मूल्य की एक मशीन इक्कीस साल से धूल खा रही है। इस मशीन का उपयोग आज तक नहीं किया गया है। अस्पताल में ईको मशीन भी तीन से धूल खा रही है। यह मशीन गहन चिकित्सा ईकाई (आईसीसीयू) में शोभा की सुपारी बनी हुई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2000 में जिले के तत्कालीन जिला कलेक्टर मोहम्मद सुलेमान के द्वारा जिला चिकित्सालय की सुध ली गयी थी। उस दौरान उनके द्वारा जिला चिकित्सालय में गहन चिकित्सा ईकाई (आईसीसीयू) की स्थापना के लिये विशेष प्रयास किये गये थे।

उस दौरान जिला अस्पताल के आईसीसीयू में दिल की बीमारी के मरीजों के लिये ट्रेड मील टेस्ट (टीएमटी टेस्ट) के लिये लगभग दस लाख रुपए खर्च कर एक मशीन बुलायी गयी थी। इस मशीन पर मरीज को चलाया जाता है एवं इसकी रफ्तार उसके पूर्व में लिये गये ईसीजी के हिसाब से बढ़ायी घटायी जाती है।

जानकारों का कहना है कि दस लाख मूल्य की यह मशीन आईसीसीयू के ईसीजी लेने वाले कक्ष में पड़ी धूल खा रही है। चिकित्सालय में लंबे समय से पदस्थ एक पेरामेडिकल स्टाफ ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि टीएमटी टेस्ट की संधारण पंजी का अगर अवलोकन कर लिया जाये तो यह बात पानी की तरह साफ हो सकती है कि 2000 से आज तक इस मशीन का उपयोग एक भी मरीज के लिये नहीं किया गया है।

इतना ही नहीं जिला चिकित्सालय में दिल के मरीजों की ईको जाँच के लिये रखी मशीन भी सालों से धूल ही खा रही है। इस मशीन का उपयोग पूर्व में यहाँ पदस्थ चिकित्सक डॉ.रंजना चौधरी के द्वारा अंतिम बार किया गया था। लगभग छः साल पूर्व उनके द्वारा त्यागपत्र दिये जाने के उपरांत यह मशीन भी बेकार ही पड़ी हुई है।

सिवनी के जिला चिकित्सालय की गहन चिकित्सा ईकाई में दिल के रोगी मरीज ही प्रमुख रूप से उपचार हेतु भर्त्ती होते हैं। उनके लिये ईसीजी, ईको और टीएमटी जैसे परीक्षण किये जाने आवश्यक होते हैं, पर जिला चिकित्सालय प्रबंधन के द्वारा कभी इस दिशा में ध्यान ही नहीं दिया गया है।

जिला चिकित्सालय में कितनी मशीनें कब-कब खरीदी गयीं इस बारे में ही अगर जाँच करवा ली जाये तो जिला प्रशासन दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो सकता है। जिला अस्पताल में बने ट्रामा केयर यूनिट को अब तक आरंभ नहीं कराया जा सका है, पर इसके लिये बुलायी गयी सीआर्म मशीन का उपयोग भी अब तक नहीं किया गया है।

इस तरह के अनेक उपकरण होंगे जिन्हें अस्पताल प्रशासन के द्वारा पूर्व में खरीदा तो गया है, पर इनका उपयोग नहीं किया गया है। यक्ष प्रश्न यही है कि अगर इनका उपयोग नहीं किया जाना था तो इनके खरीदने का क्या औचित्य था!


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