Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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लिमटी की लालटेन 137
बहुत कुछ सोचने पर विवश कर रही है पांच साल की बच्ची से दुराचार की खबर . . .
(लिमटी खरे)
एक समय में देश के हृदय प्रदेश को शांति का टापू माना जाता था। हृदय प्रदेश अर्थात मध्य प्रदेश के कुछ जिले इस तरह के थे, जहां जाकर लोग बसना चाहते थे, क्योंकि उन जिलों में अमन चैन, सुख शांति हुआ करती थी। सौभाग्य से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर स्थित सिवनी जिला इन शहरों की फेहरिस्त में शामिल था।
लगभग एक दशक से अधिक समय से सिवनी को मानो किसी की नजर लग गई है। सिवनी जिले में रोजगार के साधनों का अभाव साफ दिखाई देता है। और तो और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहीं और प्रदेश में कद्दावर मंत्री रहीं सुश्री विमला वर्मा के द्वारा सिवनी को जो भी सौगातें दी गईं, वे सौगातें भी वर्तमान जनप्रतिनिधि संभाल कर नहीं रख पा रहे हैं। वे सौगातें भी एक के बाद एक रेत के मानिंद मुटठ्ी से फिसलती नजर आ रही हैं।
मंगलवार को शहरी सीमा से लगे एक उपनगरीय क्षेत्र में महज पांच साल की दुधमुही बच्ची के साथ दुराचार की खबर रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई वैसे ही रोंगटे खड़े हो गए। यह अपने आप में इस तरह का मामला था जिसमें अगर किंचित मात्र भी सच्चाई होती तो इसे अक्षम्य अपराध की श्रेणी में लाया जा सकता था।
बाद में पता चला कि पुलिस के द्वारा नराधम आरोपी को धर दबोचा है और बुधवार को उसे पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है। यह मामला ओपन एण्ड शट केस की तरह नहीं माना जा सकता है। आखिर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति सिवनी में क्यों हो रही है इस बारे में विचार करने की महती जरूरत महसूस हो रही है।
इसके पहले घंसौर में दूसरे प्रदेश से मजदूरी करने आए एक व्यक्ति के द्वारा घंसौर की गुड़िया के साथ दुराचार कर उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया था। एक के बाद एक करके सिवनी जिले में अज्ञात महिलाओं या युवतियों के शव बरामद होते चले गए पर पुलिस किसी निष्कर्श पर नहीं पहुंच सकी। कुरई घाट में मिला युवती का शव हो या धूमा के पास नदी के समीप मिला शव हो, हर बार एक अबूझ पहेली ही सिवनी के लोगों के सामने मुुह बाए खड़ी दिखी।
कहने को तो पुलिस अधीक्षक के द्वारा हर माह अपराध समीक्षा के लिए क्राईम मीटिंग की जाती हैं, पर इस तरह के मामले जिसमें युवतियों के गायब होने की बात या अज्ञात युवतियों के शव मिलने की बातें सामने आई हों, में संबंधित थानों के थाना प्रभारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई! अब तो इस तरह के मामले पुराने हो चुके हैं और उस समय पदस्थ रहे प्रभारी पदोन्नति भी पा चुके हों तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह सब कहने के पीछे तातपर्य महज इतना ही है कि अगर मुखिया के द्वारा ही मामलों को सख्ती से नहीं लिया जाएगा तो अधीनस्थ स्टाफ तो हीला हलवा करने से शायद ही चूके।
हमने आरंभ में ही रोजगार के साधनों का आभाव सिवनी में रेखांकित किया। वह इसलिए क्योंकि सिवनी के दो सांसद और चार विधायक मिलकर भी सिवनी को औद्योगिक दृष्टिकोण से समृद्ध नहीं बना पा रहे हैं। कहा जाता है कि खाली दिमाग शैतान का घर, और जब युवाओं के पास काम नहीं होगा तो वे मोबाईल के डेढ़ से तीन जीबी प्रतिदिन वाले असीमित कालिंग वाले प्लान का उपयोग पोर्न वीडियोज या साईट्स देखने में जाया करेंगे ही। केंद्र सरकार के द्वारा भले ही इस तरह की अनेक वेब साईट्स बेन कर दी हों पर जानकार बताते हैं कि प्राक्सी सर्वर के जरिए आप उन तक पहुंच सकते हैं।
सिवनी में चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। कितने आश्चर्य की बात है कि डूंडा सिवनी थाने की सीमा में जनता नगर चौराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरे एक साल से अधिक समय से गायब हैं। यहां महज तार ही लटक रहे हैं! अगर सीसीटीवी जिन्हें निगरानी के लिए लगाया गया है वे ही किसी के द्वारा चोरी कर लिए जाएं तो बाकी व्यवस्थाएं कितनी चुस्त चालाक होंगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
मंगलवार की बीती रात से बुधवार की रात होने को आ गई है, किन्तु अब तक सिवनी पुलिस के द्वारा पत्रकार वार्ता कर स्थिति स्पष्ट न किए जाने से सोशल मीडिया पर जिसका जो मन हो रहा है वह इबारत लिख रहा है। जाहिर है स्वतंत्र भारत में सभी को अपनी अपनी बात कहने का हक है पर जिस विभाग का यह काम है अगर उसका पक्ष आधिकारिक तौर पर सामने न आए तो अफवाहों का बाजार गर्माने में देर नहीं लगती है। जिला पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक को चाहिए कि पुलिस की उस शाखा को जो सूचना संकलन करती है के साथ ही साथ हर थाने के सूचना संकलन के स्तर को एक बार रिव्यू अवश्य करें।
घंसौर की गुड़िया के बाद न जाने कितने मामले इस तरह के घट चुके हैं। कितनी बालाएं जिले से गायब हो चुकी हैं, अन्य शहरों के कितने लोग बिना पुलिस को सूचना दिए सिवनी में रह रहे हैं! किराएदारी के सत्यापन की बात भी इतिहास में शुमार हो चुकी है। सोशल मीडिया पर युवाओं के अवैध कामों की ओर अग्रसर होने की बात वजनदारी से लिखी जा रही हैं। जन्म दिवस पर तलवारों से केक कटने की बातें भी सोशल मीडिया पर आ रही हैं। कर्कश आवाज में हार्न, साईलेंसर के साथ अंधेरी सुनसान रात में लोगों की नींद में खलल पड़ रहा है, इसी बीच महज पांच साल की दुधमुही बच्ची के साथ दुराचार की खबर आती है और जिले के दोनों सांसद, चारों विधायक, जिला भाजपा, जिला कांग्रेस के द्वारा इस बारे में अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी जाती है। यह सब देखकर सभ्य समाज का नुमाईंदा कुछ सोचने पर मजबूर अवश्य हो रहा होगा . . .!
(साई फीचर्स)

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