Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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घंसौर में स्थापित किया प्रदेश का 400 वां अति उच्च दाब विघुत उपकेंद्रफरवरी 1975 में पहला अति उच्चदाब का उपकेन्द्र बना था सिवनी में, इलेक्ट्रिफाईड ब्राडगेज को भी होगी इसी केंद्र से आपूर्ति(अखिलेश दुबे)सिवनी (साई)। सिवनी में 1975 में पहला अति उच्चदाब का उपकेंद्र बनाए जाने के बाद अब प्रदेश का 400वां अति उच्च दाब का उपकेंद्र घंसौर में स्थापित किया गया है। इस अति उच्चदाब केंद्र से घंसौर क्षेत्र में बिजली की अनेक समस्याओं से दो चार हो रहे उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है।मध्य प्रदेश में ट्रांसमिशन सिस्टम (पारेषण प्रणाली) को मजबूती प्रदान करने तथा प्रत्येक अति उच्च दाब उपकेंद्र में सप्लाई के लिए एक से अधिक विकल्प की व्यवस्था रखने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की मंशानुसार ऊर्जा विभाग के अंतर्गत मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने सिवनी जिले के तहसील मुख्यालय घंसौर में प्रदेश का 400 वां अति उच्चदाब का उपकेन्द्र ऊर्जीकृत कर प्रदेश के ट्रांसमिशन सिस्टम (पारेषण प्रणाली) में एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करने मे सफलता प्राप्त की है।
मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने जानकारी दी कि कंपनी ने सिवनी जिले के घंसौर में अति उच्च दाब का एक नया 132 के.व्ही. उपकेंद्र स्थापित किया है जो मध्यप्रदेश का 400 वां अतिउच्चदाब विद्युत उपकेन्द्र है तथा 132 के.व्ही. वोल्टेज स्तर का 302 वां अतिउच्चदाब विद्युत उपकेन्द्र है। इसके अलावा प्रदेश में 400 के.व्ही. के 14 उपकेन्द्र तथा 220 के.व्ही. के 84 उपकेन्द्र क्रियाशील है।
श्री तिवारी ने बताया कि सिवनी जिले में रेलवे की आवश्यकता के साथ कृषि क्षेत्र में विद्युत की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए ट्रांसमिशन कंपनी ने इस उपकेंद्र को तेजी से ऊर्जाकृत करने में सफलता प्राप्त की है इस अति उच्च दाब उपकेंद्र के प्रारंभ हो जाने से आदिवासी घंसौर क्षेत्र में घने जंगलों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बीच बसे 350 गांव के करीब 21 हजार उपभोक्ताओं को न केवल सतत विद्युत प्रदाय की जा सकेगी बल्कि उपभोक्ताओं को उचित गुणवत्ता की विद्युत आपूर्ति कम से कम व्यवधान के साथ उपलब्ध होगी। इस उपकेंद्र से 33 के.व्ही. के 4 फीडर निर्गमित किए गये हैं जिससे 33 के.व्ही. के 06 उपकेन्द्र जुड़ेंगे जिनमें घंसौर, भिलाई, केदारपुर, दिवारी, मुंगवानी तथा कहानी के उपकेन्द्र शामिल है।
घंसौर उपकेंद्र में 132 के.व्ही. नैनपुर उपकेन्द्र से 132 के.व्ही. का एक फीडर लाया गया है। 132 के.व्ही. उपकेंद्र घंसौर से रेलवे के लिए 132 के.व्ही. का एक आरटीएस फीडर भी तैयार किया गया है उपकेंद्र शुरू होने के साथ ही मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 132 के.व्ही. के रेलवे ट्रेक्शन फीडर को सप्लाई देना प्रारंभ कर दिया है। जिससे नवनिर्मित ब्राडगेज रेल संचालन के लिए इस उपकेंद्र से विघुत आपूर्ति हो सकेगी।
उल्लेखनीय है कि सिवनी जिले में यह चौथा अति उच्च दाब का उपकेंद्र प्रारंभ किया गया है इसके पहले जिले को 220 के.व्ही. उपकेंद्र सिवनी, 132 के.व्ही. उपकेन्द्र सिवनी तथा 132 के.व्ही. लखनादौन से विद्युत आपूर्ति की जाती थी। गत दिवस 50 एम व्ही ए ट्रांसफार्मर क्षमता के साथ इस उपकेंद्र को ऊर्जीकृत किया गया इससे घंसौर क्षेत्र के करीब 350 से अधिक गांवों के 21 हजार आबादी को फायदा होगा।
फरवरी 1975 में पहला अति उच्चदाब का उपकेन्द्र बना था सिवनी में
उल्लेखनीय है कि जिले में सर्वप्रथम 132 के.व्ही. उपकेंद्र की स्थापना सिवनी में 03 फरवरी 1975 को हुई थी वर्तमान में इस उपकेन्द्र की क्षमता 80 एमव्हीए की है इसके अलावा सिवनी में ही 220 के.व्ही. का उपकेंद्र भी स्थापित है। जिसकी 220 के.व्ही. साइड की क्षमता 320 एमव्हीए तथा 132 के.व्ही. साइड की क्षमता 90 एमव्हीए की है इसके अलावा ट्रांसमिशन कंपनी का एक और 132 के.व्ही. का उपकेन्द्र लखनादौन में क्रियाशील है जिसकी क्षमता 90 एमव्हीए की है। 132 के.व्ही. उपकेन्द्र चालू होने से अब सिवनी जिले की ट्रांसफॉरमेशन क्षमता बढ़कर 630 एमव्हीए (220 के.व्ही. साइड की क्षमता 320 एमव्हीए तथा 132 के.व्ही. साइड की क्षमता 310 एमव्हीए) हो गई है। जिससे जिले की पारेषण प्रणाली को मजबूती मिली है।
इस उपकेंद्र का निर्माण मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के लिये मेसर्स आर. एस. इंफ्रा नोयडा ने अति उच्च दाब निर्माण संभाग-एक, जबलपुर के सुपरविजन में किया है। मुख्य अभियंता अउदा-निर्माण श्री आर.के. खण्डेलवाल, मुख्य अभियंता परीक्षण एवं संचार राजेश श्रीवास्तव, अधीक्षण अभियंता व्ही.एस. पाणी, कार्यपालन अभियंता अति उच्चदाब संभाग-एक जबलपुर प्रमोद बहरे, सहायक अभियंता निर्माण राजेश तिवारी, सहायक अभियंता सिविल राजेश उपाध्याय एवं मेसर्स आर. एस. इंफ्रा नोयडा के अलावा स्काडा के कार्यपालन अभियंता हिमांशु श्रीवास्तव की टीम ने लगातार मेहनत कर कम से कम समय में लाइन और उपकेंद्र के निर्माण को पूरा किया।

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