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लिमटी की लालटेन


सोनभद्र में सोनाहकीकत या फसाना!

(लिमटी खरे)


उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में तीन हजार टन सोना मिलने की बात जैसे ही सोशल मीडिया में तैरी वैसे ही यह खबर जमकर वायरल हो गई है। सोना मिला है अथवा नहींइस बात को छोड़कर तरह तरह की बातोंचर्चाओ का बाजार जमकर गर्मा चुका है। अब तो सोनभद्र के नामकरण को लेकर भी तरह तरह की बातें किंवदंती के रूप में भी कही जाने लगी हैं। आईए जानते हैं कि यह हकीकत है या सिर्फ अफवाह। दरअसलसारा का सारा मामला उत्तर प्रदेश के माईनिंग विभाग और सोनभद्र के जिलाधिकारी के बीच हुए 31 जनवरी के पत्राचार के लीक होने से यह मामला तिल का ताड़ बना। इस पत्र में सोनभद्र के साना पहाड़ी ब्लाक में 2943.26 टन और हरदी ब्लाक में 646.15 टन सोना होने की संभावनाएं जताई गई थीं। इन दोनों ही ब्लाक में तीन हजार टन सोना होने की संभावनाएं जताई गईं। अमूमन जैसा होता हैवैसा ही हुआइस पत्र के लीक होते ही अफवाहों का न थमने वाला सिलसिला आरंभ हो गया।


किसी ने सच ही कहा है कि अफवाहों से बचिएइनके पर नहीं होते! ये वो शैतान उड़ाते हैंजिनके घर नहीं होते!! देश में सोने का भण्डार मिलने की बात जंगल में फैली आग के मानिंद ही चारों ओर फैल गई। फिर क्या थाइसको लेकर तरह तरह की कहानियां गढ़ी जाने लगीं। यहां तक कि सोनभद्र जिले के नाम को लेकर भी किंवदंतियां गढ़ी जाने लगीं। कहा जाने लगा कि कई दशकों पहले ही लोगों को यह पता था कि सोनभद्र में सोने का भण्डार हैइसलिए उस जगह का नाम सोने से जोड़ते हुए सोनभद्र रखा गया था।

इस बात के बाहर आते ही सोशल मीडिया पर सोना ही सोना जैसी बातों को अंबार लग गया। लोग यह भी कहने लगे कि भारत का सोन चिरैया का दर्जा एक बार फिर वापस मिलने वाला है। आप जानते होंगे कि भारत के पास अकूत सोने के भण्डार थे। मुगलों और गोरे अंग्रेजों के आक्रमण में इस भण्डार को जमकर लूटा गया था। देश को सोन चिरैया अर्थात सोने की चिड़िया भी कहा जाता था।

इस बात की पड़ताल करने पर जो बातें निकलकर सामने आई है कि 31 जनवरी को खनिज विभाग के द्वारा जिलाधिकारी को लिखा गया पत्र जब मीडिया के हाथ लगाउसके बाद से ही इस मामले में अफरा तफरी का माहौल बना। जब यह मामला गूगल ट्रेंड में स्थान पाने लगा तो उसके बाद जियॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) को आगे आकर साफाई देने पर मजबूर होना पड़ा कि तीन हजार टन सोना मिलने की बात गलत है। जीएसआई का कहना है कि वहां महज 160 किलो सोना हो सकता है।

इसके साथ ही सोशल मीडिया पर यह बात भी जमकर उछल रही है कि किसी पुरानी फिल्म की कहानी की तरह इस सोने के भण्डार की रक्षा जहरीले सांप किया करते हैं। वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि इन पहाड़ियों पर जहरीले सापों का डेरा पसरा हुआ है। इसमें रसेल वाईपरकोबराकरैत प्रजाति के अलावा कुछ और जहरीले सांपों की प्रजातियां मिली हैंजिनके बारे में कहा जाता है कि अगर वे किसी को काट लें तो उसका बचना मुश्किल ही होता है।

जीएसआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सोनभद्र इलाके में सोने का बड़ा भण्डार कतई नहीं मिला है। जीएसआई ने 1998 से 2000 तक क्षेत्र में खुदाई और सर्वे कराया थापर इसके परिणाम बहुत ज्यादा आशाजनक नहीं मिलने पर जो जानकारी थी उसे उत्तर प्रदेश के खनिज विभाग के साथ साझा कर दी गई थी। जीएसआई ने 52 हजार टन के लगभग अयस्क भण्डार वहां होने की बात कही थीन कि सोना मिलने की। इसके साथ ही सोन पहाड़ी के सब ब्लाक एच में प्रति टन अयस्क में महज 3.03 ग्राम सोना ही मिलने की उम्मीद है।

जिस सोने के भण्डार के मिलने की बात कही जा रही है वह असल में सोने की राख (गोल्ड ओर) है। इस राख को लंबी प्रक्रिया से गुजारने के बाद लगभग 160 किलो सोना ही मिलने की उम्मीद जीएसआई ने जताई है। देखा जाए तो सोने के भण्डार मिलने के बाद उसे शुद्ध सोने में तब्दील करने की प्रक्रिया बेहद लंबी है और इसके लिए भारी भरकम मशीनों की आवश्यकता भी होती है। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से तिल का ताड़ बनाया जा रहा हैउससे अनेक लोग खुशफहमी भी पाल रहे हों तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

देखा जाए देश में तो सोने का सबसे बड़ा भण्डार कर्नाटक की हुत्ती खदान में है। इसके बाद आंध्र प्रदेश देश में सोने के उत्पादन में दूसरी पायदान पर है। झारखण्डकेरल के अलावा देश के हृदय प्रदेश में भी सोने की खदानें मिली हैं।

जीएसआई के द्वारा बताई गई जानकारी के अनुसार पिछले साल पृथ्वी की सतह के नीचे देश में सात नए सोने के भण्डारों के बारे में पता चला था। सिंहभूमि क्षेत्र में जोजोडीहओटियाटैबोभेंगमफुलझड़ीमोर्चागोरालुकापानीईचागढ़ के आसपास सोने के भण्डार के संकेत मिले थे। इस तरह देश में सोने के ज्ञात भण्डारों की तादाद अब बढ़कर 17 हो गई है।

कहा जाता है कि देश में वर्तमान में लगभग 626 टन सोने का भण्डार है। कहा जा रहा है कि सोनभद्र में मिले भण्डार इस सोने के भण्डारों से पांच गुना ज्यादा हो सकते हैं। वर्तमान में कर्नाटक में सोने की खदान से देश का लगभग 88.7 फीसदी सोना निकलता है। कर्नाटक में धारवाड़ा एवं रायचूर जिलों में सोना लिकाला जाता है।

सोने के भण्डार वह भी तीन हजार टन की खदान मिलने की बात अपने आप में बहुत ही मायने रखती है। इस बारे में फिलहाल आधिकारिक तौर पर तो कुछ भी नहीं कहा जा रहा हैसब कुछ हवा हवाई ही प्रतीत हो रहा है। इसकी तह में जाने पर यही बात सामने आ रही है कि सब कुछ खनिज विभाग के द्वारा सोनभद्र के जिलाधिकारी को लिखे पत्र के बाद ही अस्तित्व में आया है। इसके लिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगा कि इतनी बड़ी तादाद में सोने के भण्डार वाकई में हैं अथवा नहींपर मीडिया को भी इस मामले में कुछ भी बतानेदिखाने के पहले सावधानी बरतना चाहिए था। सोशल मीडिया की कौन कहेसोशल मीडिया पर तो अपने आप को सबसे आगे रखने की तर्ज पर जिसका जो मन होता हैउस बात को पुष्टि किए बिना ही परोस दिया जाता हैजिससे इस तरह की स्थितियां निर्मित होती हैं। इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाए जाने की महती जरूरत महसूस हो रही है। (लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


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