Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सावन आओ राखी आयी और राखी गाये ये गीत – मल्हार |
तुझको बहना समझाओ है अकिली ना जइयो बीच बजार |
अकिली देखि के ठगिहें तुमको मांगेंगे रुपया – दुई के चार |
भांति-भांति की राखी मिलिहें सोने – चाँदी – मोतिन के हार |
राखी का धागा ही राखी है– पर वे सब समझत हैं व्योपार |
भाई – बहिन की रक्षा का प्रण करके हम मनायें ये त्यौहार |
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हिल्की लेके भैय्या- – रोवे और बहन खड़ी होवे लाचार |
जा दिन टांग – कटी कारगिल में सूने लागें ये त्यौहार |
जाही शोक में अम्मा – दादा गुजरे इकला बेटा पालनहार |
कब तक भैय्या तेरा इस धरती पर और रहेगा ये बीमार |
भैय्या की बातिन का बहिना बुरा न मानो तुम मेरा संसार |
छलकाओ ना आंसू इस सावन में नहिं मेरे जीवन को धिक्कार |
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सूनी कलाई भाई की मति रखियो आयकें त्यौहार लियो मनाय |
राधा- प्रतिभा छोटी बहिनें उनको भी तुम कछु दीजो समझाय |
भाई- बहन का गहरा नाता दुनियां में अमर करें हम इसे मनाय |
आल्हा- ऊदल ने लड़ीं लड़ाईं दुनियां गयी थरर- थरर थराय |
आयकें टीका करियो अपने भैय्या को भैया तेरो वीर कहाय |
नाहिं डरो कबहूँ दुश्मन से नहिं दुश्मन से तेरो भैय्या घबराय |
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भैय्या प्राण निछावर करे देश पे देश की लेंहें हम लाज बचाय |
इतनी कहिकें गरजा भैय्या और दुश्मन को फिर दियो ललकार |
होश में आओ भैय्या मेरे नाहीं तुम सीमा पर जो रहे डकराय |
आंसू पोंछ्कें – पोंछ्कें बहिना रोवे देखकें भैय्या का ये हाल |
मैं तो मिलने भइय्या तुमसे आयी तुम खोओं ना होश हवाल |
देखो घर में सारी बहिनें हैं और भावी रही आँगन चौक पुराय |
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मांथे तिलक करो भैय्या कों सब मिलजुल राखीं दीनी बंधाय |
राखीं झलकें भैय्या की कलाई और खुशियाँ रहीं गले लगाय |
सदी सोलहबीं में जब रानी कर्णावती हुमाहूँ ढिंग पहुंची जाय |
रक्षा की खातिर भाई बनाओ वा दिन ते हम राखी रहे मनाय |
लिखी हकीकत भैय्या तुमकों और साँची
गौतम
रहो बताय |
भूल- चूकि की मांफी मांगे भाई – बहन कों अपनों शीश नवाय |
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